शिमला:कृष्ण वंदे जगदगुरू. श्रीकृष्ण को जगद्गुरू माना जाता है. इन्हीं लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण का देवभूमि हिमाचल के दिव्य नाता है. हिमाचल का एक राजपरिवार श्रीकृष्ण का वंशज है. इस राजपरिवार के वर्तमान राजा भगवान की 123वीं पीढ़ी में आते हैं. बुशहर रियासत के राजघराने के राजा विक्रमादित्य सिंह भगवान श्रीकृष्ण के वंश में 123वीं पीढ़ी से हैं. उनके पिता स्वर्गीय वीरभद्र सिंह 122वीं पीढ़ी के थे. पौराणिक गाथा के अनुसार शोणितपुर का सम्राट बाणासुर शिवभक्त था. बाणासुर राजा बलि के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था. बाणासुर की बेटी ऊषा को पार्वती से वरदान मिला था कि उसकी शादी भगवान कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से होगी, परंतु इससे पहले अचानक विवाह के प्रसंग को लेकर बाणासुर और श्रीकृष्ण में घमासान युद्ध हुआ. युद्ध में बाणासुर को कठिन समय का सामना करना पड़ा. बाद में मां पार्वती के वरदान की महिमा को ध्यान में रखते हुए असुर राज परिवार और श्रीकृष्ण में सहमति हुई. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के सुपुत्र प्रद्युम्न ने सोनितपुर पर राज किया. बाद में यही सोनितपुर सराहन हो गया और सराहन की बुशहर रियासत के सदस्य हैं वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह.
फिर प्रद्युम्न के वंशजों की राज परंपरा चली. बुशहर रियासत के राजा और छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह इसी वंश परंपरा से संबंधित थे. हालांकि वीरभद्र सिंह के घराने बुशहर की आराध्या देवी मां भीमाकाली हैं. बुशहर में महल में स्थापित भीमाकाली मंदिर के साथ अन्य पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं. आदिकाल में इस मंदिर के स्वरूप का वर्णन करना कठिन है परंतु पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि वर्तमान भीमाकाली मंदिर सातवीं-आठवीं शताब्दी के बीच बना है. मत्स्य पुराण में भीमा नाम की एक मूर्ति का वर्णन आता है.
एक अन्य प्रसंग के मुताबिक मां पार्वती जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में सती हो गई थीं तो भगवान शिव ने मां की पार्थिव देह कंधे पर उठा ली और भटकने लगे. विष्णु भगवान ने सुदर्शन चक्र से मां के शरीर के टुकड़े-टुकड़े किए. विभिन्न स्थानों पर देवी मां के अलग-अलग अंग गिरे. देवी का कान शोणितपुर में गिरा और वहां भीमाकाली प्रकट हुई. कहा जाता है कि पुराणों में वर्णन है कि कालांतर में देवी ने भीम रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और भीमाकाली कहलाई. रामपुर बुशहर में रियासत के महल पदम पैलेस में इस बारे में वंशावली तथ्य मौजूद हैं.
मां भीमाकाली मंदिर के अद्भुत रहस्य:मां भीमाकाली बुशहर राजवंश की आराध्या देवी हैं. पौराणिक गाथाओं में श्रीकृष्ण की अगली पीढ़ी से प्रद्युमन व अनिरुद्ध के वंशजों की अब 123वीं पीढ़ी है. इसी वंश परंपरा में वीरभद्र सिंह व विक्रमादित्य सिंह हैं. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की वंश परंपरा के साथ ही मां भीमाकाली के मंदिर के बारे में जानना भी दिलचस्प रहेगा.