श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) सेवानिवृत्त न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की सनसनीखेज हत्या की गुत्थी सुलझाएगी. लंदन में भारतीय राजनयिक की हत्या के सिलसिले में जेकेएलएफ के संस्थापक मकबूल भट को सजा सुनाने को लेकर उनकी हत्या की गई थी. पुलिस को इसके पीछे किसी बड़े साजिश की आशंका है.
1989 में अलगाववादी समूह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मकबूल भट को फांसी की सजा का आदेश देने वाले कश्मीरी पंडित न्यायाधीश की हत्या के मामले की 34 साल की जांच के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन फिर से मामले की तह तक जाने का निर्णय लिया है. जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी ( एसआईए) ने कहा कि तीन दशक पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए, वह इस हत्या मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी व्यक्तियों से आगे आने और घटनाओं के किसी भी विवरण को साझा करने की अपील करती है.
न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू एक कश्मीरी पंडित थे. उन्होंने ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक रवींद्र महत्रे की हत्या के लिए जेकेएलएफ के संस्थापक मकबूल भट को फांसी की सजा सुनाई थी. भट को भारत द्वारा फाँसी दी गई थी और उसके शव को तिहाड़ जेल में दफनाया गया था. एसआईए विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि ऐसे सभी व्यक्तियों की पहचान पूरी तरह से छिपाई और संरक्षित रखी जाएगी और इसके अलावा सभी उपयोगी और प्रासंगिक जानकारी को उचित रूप से पुरस्कृत किया जाएगा. गंजू की हत्या के बाद 1989 में कश्मीर में कश्मीरी पंडित समुदाय में भय व्याप्त हो गया था और उसके बाद हिंसा में वृद्धि के कारण उनका जम्मू की ओर पलायन शुरू हो गया था.
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एसआईए द्वारा उठाए गए इस कदम पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कविंद्र गुप्ता ने कहा, 'यह अच्छा है कि उन्हें (नीलकंठ गंजू) न्याय मिलेगा. बीजेपी सरकार ने पहले ही कहा था कि ऐसी चीजों की जांच होनी चाहिए. यह एक साजिश थी. लोगों को इसमें सहयोग करना चाहिए ताकि साजिश का पर्दाफाश हो सके.मैं इस कदम की सराहना करता हूं.'