नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में जो हुआ वह अपनी तरह की अनोखी स्थिति नहीं थी. यहां तक कि पंजाब ने भी बहुत कठिन समय देखा है, पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों ने भी. वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मामला जहां दशकों से हिंसा देखी गई है, सीमा पार आतंकवाद का इतिहास रहा है, यह 'अपनी तरह का एक' था.
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब उसने राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में बदलने के लिए संसद की शक्ति के स्रोत के संबंध में केंद्र के वकील पर सवालों की झड़ी लगा दी, और इस बात पर जोर दिया कि सरकार ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं कह सकती क्योंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है, इसके साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है (Article 370 case Hearing).
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक अनोखा मामला है और अगर गुजरात या मध्य प्रदेश को विभाजित किया जाता है, तो पैरामीटर अलग होंगे, लेकिन जम्मू-कश्मीर का अपना रणनीतिक महत्व है, यह एक सीमा राज्य है. यहां आतंकवाद, घुसपैठ का इतिहास, बाहरी प्रभाव का इतिहास रहा है.
मेहता ने ये दिया तर्क :मेहता ने जोर देकर कहा कि ये महत्वपूर्ण पहलू थे जिन पर केंद्र द्वारा विचार किया गया था. उन्होंने कहा कि भारत कम से कम चार देशों के साथ सीमा साझा करता है, जिसे हल्के ढंग से कहना अनुकूल नहीं हो सकता है. मेहता ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पथराव की घटनाओं में कमी और नागरिकों और सुरक्षा बलों की कम मौत का भी हवाला दिया. इस मौके पर, न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि कई राज्य ऐसे हैं जिनकी सीमाएं अन्य देशों के साथ लगती हैं.
मेहता ने कहा कि जब भी किसी राज्य का पुनर्गठन किया जाता है तो पुनर्गठन के बाद राज्य के भविष्य को लेकर केंद्र द्वारा एक खाका तैयार किया जाता है, जिसमें युवाओं को मुख्यधारा में लाने और विभिन्न योजनाएं शुरू करने आदि शामिल होते हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से सवाल किया कि एक बार जब आप प्रत्येक भारतीय राज्य के संबंध में संघ को वह शक्ति सौंप देते हैं, तो आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि इस प्रकार के दुरुपयोग की उन्हें आशंका है, इस शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा.
जस्टिस कौल ने कहा, जम्मू-कश्मीर के संबंध में, यह अपनी तरह की अकेली स्थिति नहीं है. पंजाब ने और इसी तरह उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों ने भी बहुत कठिन समय देखा है.