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गुलाम नबी आजाद ने फिर से कांग्रेस में शामिल होने की खबरों का किया खंडन

क्या गुलाम नबी आजाद फिर से कांग्रेस में शामिल होंगे ? सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कई नेताओं ने आजाद को फिर से पार्टी में लौटने की सलाह दी है. जैसे ही यह खबर सामने आई, आजाद ने इसका खंडन कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें जानबूझकर प्लांट कराई जा रहीं हैं. आजाद ने कहा कि उनके साथियों को निरुत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है. तीन दिन पहले आजाद ने अपनी नई पार्टी को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने की इच्छा से लोगों को इसकी सूचना देते हुए अनिवार्य सार्वजनिक नोटिस जारी किया है.

gulam nabi azad
गुलाम नबी आजाद

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Published : Dec 30, 2022, 7:08 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 8:54 PM IST

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ताज मोहिउद्दीन

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद फिर से कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, ऐसा दावा कुछ सूत्रों ने किया था. लेकिन आजाद ने इसका खंडन कर दिया है. चार महीने पहले उन्होंने कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया था. तब उन्होंने राहुल गांधी को खूब कोसा था. उनके बयान पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने काफी तल्ख टिप्पणी भी की थी.

आजाद का खंडन आने से पहले मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है, सारे दरवाजे खुले रहते हैं, लेकिन वह अगर पार्टी में लौटते हैं, तो उन्हें आश्चर्य जरूर होगा. आपको बता दें कि आजाद के कांग्रेस में लौटने की बात उस समय भी चली थी, जब उन्होंने गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस की तारीफ की थी. आजाद ने तब कहा था कि सिर्फ कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है.

आजाद ने चार महीने पहले कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. उस समय उन्होंने कहा था कि वह कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उसकी कमजोर व्यवस्था से क्षुब्ध हैं. सूत्रों की मानें तो दिग्विजय सिंह ने उनकी वापसी की पहल की है. सिंह ने उन्हें 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होने का न्योता भी दिया है. अखिलेश प्रसाद सिंह और भूपेंद्र सिंह हुडा ने भी उनसे वापस लौटने पर विचार करने को कहा है. ये दोनों नेता जी-23 समूह के हिस्सा थे, जिसमें आजाद का भी नाम शामिल था. वरिष्ठ कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने भी अपनी ओर से पहल को नई गति दी है.

यहां यह भी जानना रुचिकर होगा कि जिस समय आजाद ने इस्तीफा दिया था, उस समय उन्होंने पार्टी की स्थिति के लिए राहुल को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि राहुल ने वरिष्ठ नेताओं की कद्र नहीं की और सारे फैसले उनके आसपास के लोग लेते हैं, यहां तक कि सिक्युरिटी गार्ड और पीए तक फैसले लेते हैं.

पिछले सप्ताह गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) से कुछ नेताओं को निष्कासित कर दिया था. इनमें वरिष्ठ नेता ताराचंद भी शामिल हैं. आजाद के अनुसार ये सभी नेता कांग्रेस से बातचीत कर रहे थे. जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद ने कहा कि गुलाम नबी आजाद के समर्थन में कांग्रेस से इस्तीफा देना उनकी एक बड़ी भूल थी.

डीएपी के 100 से अधिक पदाधिकारियों और संस्थापक सदस्यों ने तीनों नेताओं के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की. ताराचंद ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक धर्मनिरपेक्ष रहेंगे और राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने पर उसमें शामिल होने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. दूसरी ओर ये भी आश्चर्य की बात है कि तीन दिन पहले ही गुलाम नबी आजाद नीत डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने राजनीतिक दल के रूप में अपना पंजीकरण कराने की इच्छा से लोगों को इसकी सूचना देते हुए अनिवार्य सार्वजनिक नोटिस जारी किया है.

गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग द्वारा पंजीकृत किए जाने से पहले की प्रक्रिया के तहत राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के इच्छुक समूह को सार्वजनिक सूचना जारी करनी होती है. हिन्दी और अंग्रेजी के एक-एक अखबार में 25 और 26 नवंबर को प्रकाशित सूचना में कहा गया है कि पार्टी ने जनप्रतिनिधित्व कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के लिए निर्वाचन आयोग को आवेदन दिया है.

उसमें कहा गया है, 'अगर किसी को डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के पंजीकरण पर आपत्ति है, तो वे नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिनों के भीतर अपनी आपत्ति, कारण सहित, निर्वाचन आयोग के सचिव (राजनीतिक दल) को भेज सकते हैं.'

निर्वाचन आयोग की वेबसाइट ने यह नोटिस मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया. जब भी कोई समूह राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन करता है तो निर्वाचन आयोग उसके द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद उससे अखबारों में सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित करने को कहता है.

अगर किसी आपत्ति के पीछे ठोस कारण हैं तो समूह के पदाधिकारियों से जवाब मांगा जाता है. आपत्ति नहीं होने पर निर्वाचन आयोग उन्हें राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करने से पहले निजी सुनवाई के लिए बुलाता है.

नवगठित डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के वरिष्ठ नेता ताज मोहिउद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया कि गुलाम नबी आज़ाद का कांग्रेस में लौटने का कोई कदम नहीं था, जिसके साथ उन्होंने इस साल की शुरुआत में अपने 52 साल पुराने जुड़ाव को तोड़ दिया था.

गुलाम नबी आजाद के करीबी सहयोगी और पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन ने कहा कि पुरानी पार्टी में उनकी वापसी का सुझाव देने वाली खबरें कुछ निहित नेताओं द्वारा रची गई हैं, जिन्हें प्रगतिशील आजाद पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था और उनमें कोई सच्चाई नहीं थी.

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Last Updated : Dec 30, 2022, 8:54 PM IST

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