श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की कार्रवाई इस ओर इशारा करती है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुना रहा है, जो देश हित के खिलाफ हो सकता है.
मुफ्ती ने अनंतनाग में संवाददाताओं से कहा, 'शुक्रवार की रात से हम देख रहे हैं कि अलग-अलग पार्टियों खासकर पीडीपी के कार्यकर्ताओं के नाम वाली सूचियां पुलिस स्टेशनों के जरिए ली जा रही हैं और ऐसा लग रहा है कि कोई ऐसा फैसला आने वाला है जो इस देश और जम्मू कश्मीर के हित में नहीं है. केवल भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कुछ एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत की जिम्मेदारी है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एजेंडे को आगे न बढ़ाए, बल्कि देश और उसके संविधान की अखंडता को बरकरार रखे.
मुफ्ती ने कहा कि अदालत के फैसले से यह स्पष्ट होना चाहिए कि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र द्वारा 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय 'अवैध, असंवैधानिक' था, जो जम्मू-कश्मीर और यहां के लोगों से किए गए वादों के खिलाफ था.
उन्होंने कहा कि पहले तो सुप्रीम कोर्ट को मामलों की सुनवाई में काफी समय लग गया. इसमें पांच साल लग गए. फिर, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में ही कहा है कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को छोड़कर कोई भी अनुच्छेद 370 को रद्द नहीं कर सकता है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'इसलिए मुझे लगता है कि निर्णय सरल होना चाहिए कि 5 अगस्त, 2019 को जो कुछ भी किया गया वह अवैध, असंवैधानिक, जम्मू-कश्मीर और यहां के लोगों से किए गए वादों के खिलाफ था.'
उमर बोले-राजनेताओं को किया जा सकता है नजरबंद :वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने चिंता जताई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले 'कश्मीर में मुख्यधारा के राजनेताओं को घर में नजरबंद किया जा सकता है.'
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में उमर ने कहा, 'उनके पास एक बहाना है, जो हमें (मुख्यधारा के नेताओं) को घर में नजरबंद करने के लिए चाहिए था. हम भी परिणाम से उतने ही अनजान हैं जितना वे हैं. अगर वे जानते हैं, तो जांच होनी चाहिए.'