श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर खूनी वारदात को अंजाम दिया है. इस बार उन्होंने कश्मीरी पंडित को निशाना (terrorists shot a kashmiri pandit) बनाया है. आतंकियों ने कश्मीर के शोपियां जिले में एक कश्मीरी पंडित को गोली मारकर जख्मी कर दिया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. हालांकि, अबतक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है, इसलिए पुलिस को भी इसके बारे में जानकारी नहीं है कि किस संगठन ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया. इधर, जम्मू में प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने शोपियां में आतंकवादियों द्वारा पूरन कृष्ण भट की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया.
शोपियां में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित को मारी गोली, मौत जम्मू कश्मीर पुलिस ने बताया कि आतंकवादियों ने एक अल्पसंख्यक नागरिक (कश्मीरी पंडित) पूरन कृष्ण भट को गोली (Kashmiri Pandit killed) मार दी. आतंकियों ने उस समय वारदात को अंजाम दिया जब वह शोपियां के चौधरी गुंड में बाग लगाने जा रहे थे. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.
पुलिस के मुताबिक, शोपियां के उस पूरे इलाके को घेर लिया है और सर्च ऑपरेशन जारी है. जम्मू कश्मीर एलजी मनोज सिन्हा ने एक कश्मीरी पंडित की हत्या की निंदा की है. उन्होंने ट्वीट किया, "मैं लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि अपराधियों और आतंकवादियों को सहायता और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी."
कश्मीरी पंडित की हत्या पर डीआईजी और स्थानीय निवासी की प्रतिक्रिया जम्मू-कश्मीर डीआईजी सुजीत कुमार ने कहा, 'एक कश्मीरी पंडित पूरन जी को मारा गया है, मामले में जांच जारी है. इस घटना की जिम्मेदारी कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (KFF) ने ली है. हम अभी कुछ नहीं कह सकते. हमारा एक गार्ड यहां मौजूद था. वह स्कूटर से कहीं गए थे और जब लौट रहे थे, तब वह अकेले नहीं थे.' उन्होंने आगे कहा, 'गार्ड के रहते अगर यह घटना घटी है, तो सिर्फ गार्ड तक नहीं, बल्कि इस इलाके के हर जिम्मेदार अधिकारी तक बात जाएगी. चश्मदीदों के मुताबिक आतंकी मोटरबाइक पर नहीं थे, लेकिन हो सकता है कि उन्होंने अपने साथी को लगा रखा हो.' उन्होंने यह भी कहा कि मृतक के पार्थिव शरीर को जम्मू भेजा जाएगा, जहां उसका अंतिम संस्कार होगा और प्रशासन ने इसके लिए सभी इंतजाम किए हैं.
इस बीच, राजनेताओं ने कश्मीरी पंडित की हत्या की निंदा की है. पीडीडी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा मुहैया करने में नाकाम रही है लेकिन वोट की खातिर उनका खून बेच देगी. नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "एक और निंदनीय हमला. मैं इस हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करता हूं, जिसमें पूरन कृष्ण भट्ट की जान चली गई. मैं उनके परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. पूरन जी की आत्मा को शांति मिले." मीरवाइज उमर फारूक नीत हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने घटना पर दुख जताया. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की जान जाना बहुत दुखद है. डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी हमले की निंदा की. उन्होंने कहा, 'मैं हिंसा के इस जघन्य कृत्य की निंदा करता हूं.'
अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा, "शोपियां में पूरन कृष्ण भट पर हुए हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करता हूं. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना. यह कायरतापूर्ण कार्य है. उनकी आत्मा को शांति मिले." भारतीय जनता पार्टी के महासचिव संगठन अशोक कौल ने कहा, "शोपियां जिला के कश्मीरी पंडितों पर एक और कायरतापूर्ण हमला." कौल ने हत्या को बर्बर बताया और दुख की इस घड़ी में परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की. कौल ने कहा, "ये चीजें अब और बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, क्योंकि इन हमलों का मकसद क्षेत्र में शांति भंग करना है."
दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले पैंथर्स पार्टी के महासचिव हकीकत सिंह ने दावा किया था कि कश्मीरी पंडित असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और वे अपने काम पर लौट नहीं पा रहे हैं. यहां तक कि प्रशासन उनसे बात नहीं कर रही है." आज की हत्या ने अल्पसंख्यक समुदाय के बीच असुरक्षा का स्तर फिर से बढ़ा दिया है. जबकि इन हत्याओं के विरुद्ध में जम्मू में समुदाय के कई सदस्य सड़कों पर उतर आए.
बता दें कि इस साल मई के बाद से कश्मीरी पंडित समुदाय में से यह तीसरी हत्या थी. 12 मई को कश्मीरी पंडित राहुल भट की बडगाम में हत्या कर दी गई थी. पांच दिन बाद 17 मई को बारामूला में ग्रेनेड हमले में रणजीत सिंह मारा गया. फिर 31 मई को शिक्षिका रजनी बाला की कुलगाम में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. मारे गए तीन लोगों में केवल राहुल कश्मीर का पंडित था. इसी तरह, एक मजदूर दिलखुश कुमार और एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की क्रमशः बडगाम और कुलगाम में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. अगस्त में दो गैर-स्थानीय मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि शोपियां में एक कश्मीरी पंडित सुनील कुमार को मौत के घाट उतार दिया गया था.