श्रीनगर: श्रीनगर की एक अदालत ने मंगलवार को 2014 के श्रीनगर एसिड हमले मामले में दो एसिड दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, साथ ही हमले को भयानक करार दिया. कोर्ट ने पीड़िता के मामले में जम्मू-कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण को जम्मू-कश्मीर पीड़ित मुआवजा योजना, 2019 के संदर्भ में अधिकतम मुआवजा देने की भी सिफारिश की. 11 दिसंबर 2014 को श्रीनगर के नौशेरा में 20 वर्षीय कानून की छात्रा पर तेजाब फेंकने के मामले में दो आरोपियों इरशाद अमीन वानी और उमर नूर को कोर्ट द्वारा दोषी ठहराने के छह दिन बाद श्रीनगर के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जवाद अहमद ने सजा की घोषणा की.
न्यायाधीश ने अपने आदेश में दोषियों को आरपीसी की धारा 120-बी के तहत दंडनीय अपराध के लिए 10 साल की कैद और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने कहा कि आरोपियों द्वारा जुर्माना अदा नहीं करने पर उन्हें एक साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. फैसले में कहा गया है कि दोषियों को आरपीसी की धारा 326-ए और धारा 120-बी आरपीसी के तहत दंडनीय अपराध के लिए आजीवन कारावास और 5-5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. साथ ही कहा गया कि इस सजा का निष्पादन हाई कोर्ट द्वारा धारा 376 सीआरपीसी एसवीटी, 1989 के संदर्भ में पुष्टि के अधीन होगा. वहीं जुर्माना, जब वसूल किया जाएगा उसे आरपीसी की धारा 326-ए के प्रावधान 1 और 2 के संदर्भ में पीड़ित को भुगतान किया जाएगा.
इतना ही नहीं जुर्माना अदा न करने पर दोषियों को तीन साल के कठोर कारावास की सजा भुगतनी होगी. वहीं दोषियों को आरपीसी की धारा 201 और 120-बी आरपीसी के तहत दंडनीय अपराध के लिए प्रत्येक को 10,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3 साल के कारावास की सजा भी सुनाई गई है और जुर्माना न देने पर उन्हें छह महीने के लिए अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. फैसले में कहा गया है कि विभिन्न अपराधों के लिए दोषियों को दी गई सजा एक साथ चलेगी.
न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता ने अपने इलाज पर जो बड़ी राशि खर्च की है और उसके आगे के इलाज के लिए आवश्यक राशि को देखते हुए मैं पीड़िता के मामले की सिफारिश सदस्य सचिव, जम्मू-कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण को करना उचित समझता हूं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पीड़ित मुआवजा योजना, 2019 के तहत पीड़िता को अधिकतम मुआवजा देना, निश्चित रूप से योजना के तहत उसे पहले से भुगतान किए गए अंतरिम मुआवजे के समायोजन के अधीन है.