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अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में दोषियों का केस लड़ेगी जमीयत-उलेमा-ए-हिंद

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Published : Feb 19, 2022, 2:55 PM IST

साल 2008 में अहमदाबाद बम ब्लास्ट (ahmedabad bomb blast) मामले में विशेष अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत के इस फैसले से जहां पीड़ित परिवारों को राहत मिली है, वहीं जमीयत उलेमा ए हिंद ने दोषियों की पैरवी की है. जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दोषियों का केस लड़ने का ऐलान किया है.

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जमीयत

सहारनपुर : साल 2008 में अहमदाबाद बम ब्लास्ट मामले में विशेष अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत के इस फैसले से जहां पीड़ित परिवारों को राहत मिली है, वहीं जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने दोषियों की पैरवी की है. जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने न सिर्फ अदालत के फैसले की मुखालफत की, बल्कि दोषियों की वकालत भी कर रहे हैं. मौलाना अरशद मदनी ने दोषियों के केस लड़ने का ऐलान किया है.

उन्होंने कहा कि साल 2008 में अहमदाबाद के अंदर जो सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, इस मामले में जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनका केस जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द लड़ेगी. उनको बाइज्जत बरी कराएगी. इसके लिए चाहे जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द को हाईकोर्ट क्यों न जाना पड़े. इससे पहले भी जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने अक्षरधाम मंदिर मामले में केस लड़ा था. उन्होंने कहा कि आरोपियों को बाइज्जत बरी कराया था. हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट से राहत मिलेगी.

जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान

गौरतलब है कि साल 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में बम ब्लास्ट हुए थे. मामले में कुछ लोगों पर ब्लास्ट के आरोप लगे थे. लंबी सुनवाई के बाद अहमदाबाद की विशेष अदालत ने लोगों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है. इसको लेकर इस्लामिक संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द दोषियों के पक्ष में उतर आया है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इल्जाम बराबर मुसलमानों के खिलाफ लगते रहे हैं.

इसलिए जमीयत उलेमा उनके केस को लड़ती है. ऐसे गरीब लोग बिल्कुल बे-मददगार होते हैं. जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने इनके केस को लड़े. 60 से लगभग 77 लोग जेल में बंद थे. कोर्ट से फैसला हुआ तो तो 28 लोगों को बरी किया गया. 30 को फांसी की सजा दी गई है और 11 लोगों को उम्रकैद.

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मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द इससे पहले भी दोषी करार दिए गए 11 मुलजिमों के केस लड़ चुके हैं. इनमें से 7 मुलजिमों को बाइज्जत बरी कराया गया और बाकी को उम्र कैद की सजा हुई. इसी तरह जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द आखिरी दौर तक उनके केस को लडे़गी और हर संभव मदद करेगी. बड़े से बड़े वकीलों से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सलाह ली जा रही है. हमें भरोसा है सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिलेगी. अल्लाह चाहेगा तो ये सभी बा-ईज्जत बरी हो जाएंगे.

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