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14 साल बाद एक हो सकते हैं प्रमुख मुस्लिम संगठन के दोनों गुट, अरशद मदनी के कही बड़ी बात

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों गुट 14 साल बाद फिर एक हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो जाहिर है कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर पड़ेगा. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

Jamiat Ulema
अरशद मदनी महमूद मदनी

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Published : Oct 11, 2022, 7:52 PM IST

नई दिल्ली : प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महमूद मदनी और अरशद मदनी गुट एक साथ आ सकते हैं (Jamiat Ulema e Hind factions of Arshad and Mahamood Madani). इसके संकेत मिले हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक धड़े के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा, 'हमारे दोनों गुट एकजुट हैं. कोई आश्चर्य नहीं है कि हम दोनों गुट विलय के रास्ते पर हैं. हमने सुलह प्रक्रिया पर कुछ दिन पहले एक बैठक की थी. लेकिन ऐसी प्रक्रियाओं में समय लगता है इसलिए मैं आपको एक विशिष्ट समय सीमा नहीं दे सकता लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हमारा एकीकरण या 'विलय' अपने ट्रैक पर है और जल्द ही पूरा हो जाएगा.'

14 साल पहले बने थे दो गुट : जमीयत उलेमा-ए-हिंद चौदह साल पहले दो गुटों में बंट गया था. एक अरशद और दूसरा महमूद मदनी का गुट है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस्लामी विद्वानों के सबसे बड़े निकायों में से एक है. उसने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. संगठन में लाखों कार्यकर्ता, समर्थक और पदाधिकारी हैं लेकिन 14 साल पहले इसके विभाजन से जाहिर तौर पर असर पड़ा.

पदाधिकारियों की स्थिति का क्या होगा ? इस सवाल पर अरशद मदनी ने जवाब दिया, 'हम सभी एक हैं. हमारी अलग-अलग इकाइयां या अलग कार्यालय नहीं है. पहले हमारा बिखराव 'सीटों' के लिए नहीं बल्कि वैचारिक था. अब हम अपना तर्क अपनी कार्य समिति (WC) में रखेंगे और वे (महमूद मदनी का गुट) अपनी कार्यसमिति में. इसलिए स्वाभाविक है कि इसमें समय लगेगा लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि ईश्वर की कृपा से प्रक्रिया अगले कुछ महीनों में पूरी हो जाएगी.'

अरशद मदनी ने कहा 'जमीयत उलेमा-ए-हिंद के भीतर फेरबदल हर 3 साल के बाद होता है. पिछली बार फेरबदल 18 महीने पहले हुआ था, इसलिए अब से 18 महीने बाद, एक नया फेरबदल होगा. तब तक, हम किसी भी कार्यकर्ता को नहीं हटाएंगे. किसी भी स्तर पर क्योंकि ये प्रतिबद्ध जमीयत कार्यकर्ता हैं जो वर्षों और दशकों से अच्छा काम कर रहे हैं.'

अरशद मदनी ने कहा कि 'पहले जब हमारे गुटों को मिलाने का प्रयास किया जाता था, तो वह सफल नहीं होता था, लेकिन इस बार दोनों पक्ष प्रयास कर रहे हैं. अल्लाह की कृपा से, यह एकीकरण प्रक्रिया इस बार बिना किसी रुकावट के पूरी होगी.'

क्या कहना है महमूद मदनी गुट का?वहीं, इस संवाददाता से बात करते हुए महमूद मदनी गुट (Mahmood Madani faction) के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'पिछले 5 साल से बातचीत चल रही है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि सकारात्मक एकीकरण होगा. एकीकरण प्रक्रिया के तहत महमूद मदनी गुट के अध्यक्ष सहित कुछ सदस्यों ने देवबंद की यात्रा की.'

एकीकरण के बाद पदाधिकारियों और अन्य राज्य/जिला सदस्यों की स्थिति के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया 'यह बहुत लंबी प्रक्रिया' है. हालांकि अरशद और महमूद मदनी दोनों एक ही छत के नीचे काम करते हैं और नई दिल्ली में उनका एक ही कार्यालय है, लेकिन दोनों गुटों की अपनी और अलग कार्य समिति (WC) है. इसके अलावा दोनों गुटों के अपने अलग समर्थक और सदस्य हैं. इसलिए यदि 2024 तक होने वाले अगले फेरबदल से पहले पुनर्मिलन होता है, तो सदस्यों की स्थिति पर फर्क पड़ेगा.

यह संभावना है कि एकीकरण के बाद, एक गुट शीर्ष दावेदार के रूप में उभरेगा और इसलिए दूसरा गुट और उनके समर्थकों और पदाधिकारियों को इस्तीफा पड़ेगा. इस पर महमूद मदनी गुट के पदाधिकारी ने कहा कि 'यह बहुत ही संवेदनशील मामला है इसलिए इस मुद्दे पर बहुत चर्चा हो रही है, हम सभी को इंतजार करना होगा.'

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