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जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख की अपील, 'अजान जरूरी, पर हनुमान चालीसा से मुकाबला ठीक नहीं'

अजान और हनुमान चालीसा विवाद पर राजनीति गर्म है. जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, स्थाई नहीं होती हैं. उन्होंने कहा कि अजान लोगों के लिए जितनी जरूरी है, उतना ही जरूरी हनुमान चालीसा है, लेकिन एक दूसरे से इसपर मुकाबला करना ठीक नहीं.

maulana mahmood madani
मौलाना महमूद मदनी

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Published : Apr 15, 2022, 7:22 PM IST

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी जुलूस के दौरान हुई हिंसा पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. हालांकि अभी तक जवाब न आने से मायूस भी हैं. पत्र में मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट कर नष्ट करना, स्थानीय प्रसाशन द्वारा परेशान करना जैसे आरोप लगाए गए हैं, साथ ही खरगोन में तोड़फोड़ को रोकने की भी मांग की है. इसके अलावा विभिन्न हिस्सों में अजान बनाम हनुमान चालीसा पर भी चिंता व्यक्त करते हुए जमीयत प्रमुख ने कहा है कि, अजान और हनुमान चालीसा दोनों ही मुल्क में जरूरी है लेकिन मुकाबला करना ठीक नहीं है.

जमीयत उलमा ए हिंद के सचिव नियाज फारूकी ने कहा कि, गृह मंत्री को लिखी गई चिट्ठी का अभी तक कोई जवाब नहीं आया है, ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है, इसलिए जल्द जवाब आने की उम्मीद है, क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील है. एमपी में जो भी हो रहा है उसपर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही, बल्कि उसको जस्टिफाई करने में लगी हुई है. लोगों के मकान गिराए जा रहे हैं, लेकिन कानून में इस तरह का कुछ है नहीं कि आप मकान गिरा दो. यदि एक आदमी कुछ कर रहा है, तो उस घर के अन्य सदस्यों को क्यों सजा दी जाए? जिस तरह यूपी सीएम बुल्डोजर किंग के नाम से फेमस हुए तो अन्य सीएम भी इसी होड़ में लग गए हैं.

यूपी के हिस्सों में लगातार अजान बनाम हनुमान चालीसा होने लगा है. वाराणसी और अलीगढ़ जैसे इलाकों में लाउडस्पीकर पर अजान के वक्त हनुमान चालीसा होने लगी है. इसपर नियाज फारूकी ने कहा कि, यह लोग कुछ भी कर लें न अजान को कुछ होगा और न ही हनुमान चालीसा का कुछ होगा, क्योंकि दोनों धर्मों में इसकी अहमियत रखने वाले लोग कुछ नहीं होने देंगे. हजारों सालों से अजान सबकी सहमति से दी जाती रही है, इसमें किसी बंदूक का इस्तेमाल तो होता नहीं है.

अजान लोगों के लिए जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी हनुमान चालीसा है, लेकिन एक दूसरे से इसपर मुकाबला करना ठीक नहीं, क्योंकि मुल्क का दस्तूर अभी तक सभी धर्मों की इज्जत करना सिखाता है. हनुमान चालीसा होने से किसी को ऐतराज नहीं, बल्कि यह तो अच्छा है बुरे कामों को छोड़ लोग हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू करेंगे.

एक के बाद एक घटना जो हो रही है वह बेहद गलत है, इसमें सरकार की कमजोरी है, कानून व्यस्थता को बनाये रखने का काम पूरी तरह से नहीं हो रहा है. प्रशासनिक मशनिरी फेल हो रही है. हमारे देश की अधिकतर आबादी नफरत में यकीन नहीं रखती है. कुछ लोग ही एक दूसरे में टकराव पैदा कर रहे हैं. हमें अपने समाज के लोगों से यही अपील करनी है कि, किसी के बहकावे में नहीं आना है. यह सब अस्थाई है. सरकारें आती जाती रहेंगी और नफरत फैलाने वाले लोग न कामयाब हुए हैं और न ही होंगे.

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