नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण कराने के योगी सरकार के फैसले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक (Jamiat Ulema e Hind meeting) हुई. 'मदरसों की सुरक्षा' के विषय पर आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में दारुल उलूम देवबंद, नदवतुल उलेमा लखनऊ, मजाहिर उलूम सहारनपुर समेत उत्तर प्रदेश के दो सौ से अधिक मदरसों के संचालक और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 12 प्रश्नों पर आधारित सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला गया और एक तीन सूत्रीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. इनमें मदरसों में आंतरिक व्यवस्था की दृष्टि से जो कानूनी कमियां हैं, उनको जल्द से जल्द ठीक किया जाए. जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा एक हेल्पलाइन बनाई जाए और टीम गठित की जाए जो कागजों को ठीक करने में मदरसे के लोगों की सहायता करें और एनआईओएस या किसी और रूप में आधुनिक शिक्षा का सिलसिला मदरसों में आरंभ किया जाए.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (maulana mahmood madani) ने कहा, 'मदरसे एक महान धरोहर हैं. हमारे पूर्वजों ने जो यह व्यवस्था दी है, वह दुनिया में कहीं और नहीं है. इसलिए इसे हर हाल में इसकी सुरक्षा की जाएगी. आज भी मदरसे देश की सेवा कर रहे हैं. कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. यहां से पढ़ कर निकलने वाले लोग जिम्मेदार और देशभक्त होते हैं. मदरसों के लोगों को देश की व्यवस्था का पालन न करने वाला बताना वास्तव में द्वेष पर आधारित है, इसका उचित और प्रभावी जवाब देना आवश्यक है.'
असम सरकार के राज्य में अवैध और जिहादी गतिविधियों को लेकर मदरसों को ध्वस्त करने के फैसले का जिक्र करते हुए, मदनी ने कहा, 'आपने देखा कि असम में क्या हुआ. अगर यह तरीका अपनाया जाता है तो यह अवैध है.' मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मदरसों के लोगों ने देश के विकास और भाईचारे के लिए महत्वपूर्ण काम किए हैं और इस बात पर जोर दिया कि इन मदरसों ने इस देश में एकता के लिए महत्वपूर्ण काम किया है.