जलपाईगुड़ी : जिंदगी में करिश्मे की उम्मीद हर शख्स करता है, लेकिन कभी करिश्मा हो जाए तो शख्स को भरोसा भी नहीं होता. कुछ ऐसा ही पार्थ भट्टाचार्य के मामले में हुआ. पार्थ भट्टाचार्य ने 54 सालों बाद एक आंख में रोशनी वापस पायी है और यह केवल एक मोतियाबिंद के ऑपरेशन से संभव हुआ. पार्थ का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर काजी आलम नैयर भी यह देखकर हैरान रह गए कि उनके मरीज, जिन्होंने देश भर के कई डॉक्टरों से परामर्श किया था, केवल एक मोतियाबिंद के सफल ऑपरेशन के बाद अपनी आंखों से दूनिया को देखने लगे हैं.
जानकारी के मुताबिक, पार्थ भट्टाचार्य सातवीं कक्षा के छात्र थे, तब से उनके दाहिनी आंख से रोशनी गुल हो गई थी. परिजन उसे डॉक्टर के पास ले गए. उत्तर बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के रायकटपारा के रहने वाले पार्थ ने बताया कि डॉक्टर ने दाहिनी आंख की जांच की और कहा कि इस आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है. अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए पार्थ ने कहा कि उनका परिवार गरीब था. घर में बिजली नहीं होती थी. उन्हें तेल के दीपक की रोशनी में गुजारा करना पड़ता था. इसलिए डॉक्टरों का कहना था कि यूं तो उनकी दाहिनी आंख जन्म से खराब है, उस पर कम रोशनी में पढ़ाई करने के कारण अब यह जीवनभर की समस्या हो गई है.