नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मंगलवार को अपनी आर्थिक एवं सुरक्षा साझेदारी को गहरा करने का संकल्प जताया और एक 'मुक्त, स्वतंत्र, समावेशी एवं नियम आधारित' हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता पर जोर दिया. यह क्षेत्र चीन की बढ़ती आक्रामकता का गवाह बन रहा है. 'भारत-ऑस्ट्रेलिया विदेश मंत्रियों के फ्रेमवर्क संवाद' में हिस्सा लेने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया की अपनी समकक्ष पेनी वोंग के साथ संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अगले साल किसी समय क्वाड (चतुष्पक्षीय) समूह की एक बैठक की तैयारी कर रहा है.
क्वाड समूह में ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका शामिल हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) वार्ता पर आगे बढ़ने के महत्व को रेखांकित किया और इस विषय पर चर्चा की. जयशंकर ने कहा, "हमने अपने छात्रों और पेशेवरों की दोनों देशों में आवाजाही अधिक सुगम बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के तरीके पर बात की." विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया की स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा की.
इजराइल-हमास संघर्ष पर जयशंकर : संवाददाता सम्मेलन में इजराइल-हमास संघर्ष के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने भारत की स्थिति के बारे में बात की और कहा कि इस 'बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण स्थिति' के कई पहलू हैं. जयशंकर ने कहा, "सात अक्टूबर को जो हुआ, निश्चित रूप से आतंकवाद उसका एक पहलू है. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में हम यही सोचते हैं कि हमें आतंकवाद पर कभी समझौता नहीं करना चाहिए, हमें इसके बारे में बहुत स्पष्ट होना चाहिए. इसलिए वह एक मुद्दा है और इसमें बंधकों का मुद्दा भी शामिल है."
उन्होंने कहा, "दूसरा मुद्दा आज गाजा में मानवीय संकट का है. मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है और वहां अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना आवश्यक है. तीसरा मुद्दा फलस्तीनियों के अधिकारों और भविष्य से संबंधित है. उसका भी कोई समाधान होना चाहिए. हमारी और विश्व के अनेक देशों की दृष्टि में वह दो-राष्ट्र समाधान में ही निहित हो सकता है." जयशंकर ने कहा, "हमें एक रास्ता तलाशना होगा जिसके जरिए इन सभी पहलुओं को संबोधित किया जा सके."