नई दिल्ली:भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में बयान देते हुए कहा कि मेरे पिता ब्यूरोक्रेट थे. वह सचिव बने. लेकिन उन्हें हटा दिया गया. 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा पीएम बनीं, तो सबसे पहले उन्होंने मेरे पिता को ही हटाया. जयशंकर ने कहा कि मैंने देखा कि मेरे पिता का करियर रूक गया था. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के कार्यकाल में जूनियर अधिकारियों को प्रमोट कर दिया गया.
जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे और इससे पहले उन्होंने चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित प्रमुख राजदूत पदों पर कार्य किया था। उनके पिता के सुब्रह्मण्यम, जिनका 2011 में निधन हो गया था, उनको भारत के सबसे प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिकारों में से एक माना जाता है. जयशंकर ने कहा कि मैं सर्वश्रेष्ठ विदेश सेवा अधिकारी बनना चाहता था और मेरे विचार से, आप जो सबसे अच्छा कर सकते हैं उसकी परिभाषा एक विदेश सचिव के रूप में समाप्त होनी थी.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे घर में भी दबाव था, मैं इसे प्रेशर नहीं कहूंगा, लेकिन हम सब इस बात से वाकिफ थे कि मेरे पिता जो कि एक ब्यूरोक्रेट थे, सेक्रेटरी बन गए थे, लेकिन उन्हें सेक्रेटरी के पद से हटा दिया गया. वे उस समय 1979 में जनता सरकार में संभवत: सबसे कम उम्र के सचिव बने. 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे. साल 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं, तो वे पहले सचिव थे, जिन्हें उन्होंने हटाया था और वह सबसे ज्ञानी व्यक्ति थे और यह बाद रक्षा क्षेत्र में हर कोई कहेगा.
जयशंकर ने कहा कि उनके पिता भी बहुत ईमानदार व्यक्ति थे, हो सकता है कि समस्या इसी वजह से हुई हो, मुझे नहीं पता. लेकिन तथ्य यह था कि एक व्यक्ति के रूप में उन्होंने नौकरशाही में अपना करियर देखा, जो वास्तव में रुका हुआ था और उसके बाद, वह फिर कभी सचिव नहीं बने. उन्हें राजीव गांधी काल के दौरान किसी ऐसे कनिष्ठ व्यक्ति के लिए पदावनत कर दिया गया था, जो कैबिनेट सचिव बन गया था. यह कुछ ऐसा था जिसे उन्होंने महसूस किया...हमने शायद ही कभी इसके बारे में बात की हो.
जयशंकर ने कहा कि जब मेरे बड़े भाई सचिव बने तो मेरे पिता को बहुत, बहुत गर्व हुआ. अपने पिता के निधन के बाद वे सरकार के सचिव बने. साल 2011 में उनका निधन हो गया. उस समय, मुझे वह मिला था, जिसे आप ग्रेड 1 कहेंगे जो एक सचिव की तरह .... एक राजदूत की तरह होता है. मैं सचिव नहीं बना, मैं उनके जाने के बाद बना. हमारे लिए उस समय सचिव बनने का लक्ष्य था. जैसा कि मैंने कहा कि मैंने वह लक्ष्य हासिल कर लिया है. 2018 में, मैं सूर्यास्त में चलने के लिए बहुत खुश था ... लेकिन, मैंने सूर्यास्त में नहीं बल्कि टाटा संस में जाकर समाप्ति की है. मैं वहां अपना उचित योगदान दे रहा था.
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जयशंकर ने कहा कि मैंने उन्हें पसंद किया, मुझे लगता है कि उन्होंने मुझे पसंद किया. फिर पूरी तरह अचानक राजनीतिक अवसर आ गया. अब मेरे लिए राजनीतिक अवसर कुछ ऐसा था जिसके बारे में मुझे सोचने की जरूरत थी, क्योंकि मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं था....इसलिए मैंने इस पर संक्षेप में विचार किया... ये बातें जयशंकर ने तब कही, जब उनसे नौकरशाह से कैबिनेट मंत्री बनने के उनके सफर के बारे में पूछा गया.