नई दिल्ली : भारत ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने एवं इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर सहमत होंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नौवहन भारत शिखर सम्मेलन से इतर आयोजित 'चाबहार दिवस' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा परियोजना है, जिसमें भारत के साथ 12 देश लोगों के फायदे के लिए आर्थिक गलियारा स्थापित करने के उद्देश्य से सहयोग कर रहे है.
उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने पर सहमत हो जाएंगे.'
जयशंकर ने यह भी उम्मीद जताई कि बैठक में इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमति बनेगी. उन्होंने कहा कि वे इस बहुस्तरीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान द्वारा रुचि दिखाए जाने का भी स्वागत करते हैं.
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा माल ढुलाई से संबंधित 7200 किलोमीटर लंबी परिवहन परियोजना है जो भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया, यूरोप से जुड़ा है.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार क्षेत्रीय सम्पर्क के महत्व को समझती है और इसी के मद्देनजर चाबहार में बंदरगाह के विकास के लिए निवेश का महत्वपूर्ण निर्णय किया गया.
उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर पिछले काफी समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ.
जयशंकर ने कहा कि परिवहन एवं पारगमन गलियारे का मकसद पूरे क्षेत्र में वाणिज्य का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना और शुरुआत में अफगानिस्तान और बाद में मध्य एशिया के साथ सुरक्षित एवं भरोसेमंद कारोबार का मार्ग स्थापित करना है.