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जयशंकर ने आईएनएसटीसी गलियारा परियोजना के मार्ग को चाबहार तक बढ़ाने पर सहमति की उम्मीद जताई

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह उम्मीद जताई है कि बैठक में इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमति बनेगी. उन्होंने कहा कि वे इस बहुस्तरीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान द्वारा रुचि दिखाए जाने का भी स्वागत करते हैं.

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Published : Mar 4, 2021, 9:31 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने एवं इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर सहमत होंगे.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नौवहन भारत शिखर सम्मेलन से इतर आयोजित 'चाबहार दिवस' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही.

विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) एक महत्वपूर्ण व्यापार गलियारा परियोजना है, जिसमें भारत के साथ 12 देश लोगों के फायदे के लिए आर्थिक गलियारा स्थापित करने के उद्देश्य से सहयोग कर रहे है.

उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा समन्वय परिषद की बैठक में सदस्य देश गलियारे के मार्ग का विस्तार कर इसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने पर सहमत हो जाएंगे.'

जयशंकर ने यह भी उम्मीद जताई कि बैठक में इस परियोजना की सदस्यता के विस्तार पर भी सहमति बनेगी. उन्होंने कहा कि वे इस बहुस्तरीय गलियारा परियोजना में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान द्वारा रुचि दिखाए जाने का भी स्वागत करते हैं.

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा माल ढुलाई से संबंधित 7200 किलोमीटर लंबी परिवहन परियोजना है जो भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया, यूरोप से जुड़ा है.

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार क्षेत्रीय सम्पर्क के महत्व को समझती है और इसी के मद्देनजर चाबहार में बंदरगाह के विकास के लिए निवेश का महत्वपूर्ण निर्णय किया गया.

उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर पिछले काफी समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ.

जयशंकर ने कहा कि परिवहन एवं पारगमन गलियारे का मकसद पूरे क्षेत्र में वाणिज्य का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना और शुरुआत में अफगानिस्तान और बाद में मध्य एशिया के साथ सुरक्षित एवं भरोसेमंद कारोबार का मार्ग स्थापित करना है.

विदेश मंत्री ने कहा कि आज भारत हमारे क्षेत्र में सम्पर्क को बेहतर बनाने के लिए सभी क्षेत्रीय पक्षकारों के साथ मिलकर काम करने की मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है, साथ ही जमीन से घिरे मध्य एशिया के देशों को चाबहार के जरिए समुद्र तक निर्बाध पहुंच उपलब्ध करना चाहता है.

उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल वाणिज्यिक पारगमन के केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि मानवीय सहायता प्रदान करने में सहायक रहा है, खास तौर पर कोविड-19 महामारी के समय में.

विदेश मंत्री ने कहा कि यह बंदरगाह अफगानिस्तान के लोगों की समृद्धि, शांत एवं स्थिरता की हमारी साझी प्रतिबद्धता का हिस्सा है. भारत ने सितंबर 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहाता के तौर पर 75 हजार मीट्रिक टन गेहूं चाबहार बंदरगाह के जरिये पहुंचाया था.

उन्होंने बताया कि इसके अलावा भारत ने जून 2020 में ईरान को टिड्डियों से मुकाबला करने के लिए 25 मीट्रिक टन कीटनाशक मालाथियान पहुंचाया था.

जयशंकर ने कहा कि भारतीय खाद्य पदार्थों के निर्यात के अलावा इस बंदरगाह के जरिए रूस, ब्राजील, थाईलैंड, जर्मनी, यूक्रेन और यूएई को खेप पहुंचाई गई.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बंदरगाह, जहाजरानी तथा जलमार्ग मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि 'चाबहार बंदरगाह परियोजना' को भारत तथा यूरेशिया के बीच सम्पर्क के लिए पारगमन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि चाबहार में 130 जहाजों तथा कुल 13,752 टीईयू और 18 लाख टन थोक/सामान्य माल का निस्तारण किया गया.

मंडाविया ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान क्षेत्र के लिए मानवीय सहायता देने में चाबहार बंदरगाह सम्पर्क केंद्र के रूप में उभरा है.

केंद्रीय मंत्री ने नौवहन क्षेत्र के महत्व पर बल देते हुए कहा कि 21वीं सदी धरती की सदी नहीं होगी, बल्कि समुद्र, आकाश तथा अंतरिक्ष की सदी होगी.

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