कश्मीर :पिछले दिनों कश्मीर वैली के हंदवाड़ा में रहने वाले स्टूडेंट परवेज अहमद का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में परवेज एक पैर के सहारे स्कूल जाता दिखा. उसके घर से स्कूल की दूरी दो किलोमीटर है और परवेज रोजाना एक पैर की मशक्कत से यह दूरी तय करता है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद कृत्रिम अंग बनाने के लिए मशहूर जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने परवेज को आर्टिफिशियल लिंब देने का वादा किया.
जयपुर फुट एक गैर सरकारी संगठन (NGO) है, जो विशेष रूप से विकलांगों के शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास को सुनिश्चित करता है. यह संगठन कृत्रिम अंगों के जरिये दिव्यांगों की मदद करता है ताकि वह समाज में अपनी गरिमा हासिल करें और स्वाभिमान के साथ जिंदगी गुजारें. यह संगठन न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी अपने सेंटर्स के माध्यम से विकलांग लोगों को कृत्रिम अंग, कॉलिपर और अन्य भौतिक सहायता और उपकरण देता है.
आर्टफिशियल लिंब के सहारे स्कूल जाएगा हंदवाड़ा का परवेज परवेज की कहानी भी जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष प्रेम भंडारी तक वीडियो के जरिये पहुंची. परवेज नौंवी का स्टूडेंट है. कई साल पहले उसका एक पैर एक्सिडेंट में जल गया. इसके बाद उसकी कई सर्जरी हुई मगर पैर ठीक नहीं हुआ. उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने उसके जख्मी पैर को काट दिया. पैर कटने के बाद परवेज के लिए स्कूल की दूरी पहाड़ से भी बड़ी हो गई. दो किलोमीटर तक ऊंची-नीची सड़कों पर एक पैर से चलना उसकी मजबूरी बन गई. पढ़ने की चाह में परवेज बिना थके, बिना रुके स्कूल जाने की संकल्प पूरा करता रहा. परवेज के पास एक व्हीलचेयर है, मगर पहाड़ की सड़कों पर उसे लेकर चलना जानलेवा हो सकता है, इसलिए परवेज अपने एक पैर के दम पर ही स्कूल जाता रहा.
परवेज के पिता गुलाम अहमद ने कहा कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह अपने बच्चे के पैर का इलाज नहीं करा सकते थे. उसे पढ़ना और खेलना पसंद है इसलिए परवेज रोजाना एक ही पैर से समस्याओं से जूझते हुए स्कूल जाता है. उन्होंने प्रशासन से मदद मांगी है. स्कूल के प्रिंसिपल गुलाम हुसैन मीर के अनुसार एक पैर से विकलांग परवेज अहमद नियमित रूप से स्कूल की खेल गतिविधियों में भाग लेता है और वॉलीबॉल और क्रिकेट भी खेलता है. परवेज अहमद पढ़ने में काफी होशियार है. पढ़ाई और अपने सपनों को लेकर परवेज में जो उत्साह है, उसे देखकर हमने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन परवेज अहमद के सपनों को पूरा करने की दिशा में कोई कदम उठाता है या फिर उसे परिस्थितियों के रहमोकरम पर छोड़ देता है.
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