नई दिल्ली: एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने दावा किया है कि दिल्ली में जहांगीरपुरी हिंसा की साजिश पहले से ही नियोजित थी. बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों के समूह द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति में तीन महिला प्रोफेसर और एक उद्यमी शामिल हैं. इसका नेतृत्व सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता मोनिका अरोड़ा ने किया है.
समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की. साथ ही यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधितों को भी सौंपी जाएगी. फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी होने के मौके पर मीडिया को संबोधित करते हुए समिति ने दावा किया कि 16 अप्रैल को धार्मिक जुलूस शांतिपूर्ण निकाला जा रहा था. लेकिन जब जुलूस जहांगीरपुरी के कुशाल सिनेमा चौक सी ब्लॉक के पास पहुंचा, तो अंसार के नेतृत्व में लोगों के एक समूह ने धमकी दी. उन्होंने कहा कि अगर जुलूस मस्जिद के पास से गुजरा तो परिणाम भुगतने होंगे. जैसे ही वह शोभायात्रा आगे बढ़ी और कॉर्नर पर पहुंची, उसी समय छतों से पथराव शुरू हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय 30-40 लोगों ने तलवार और लाठी लेकर शोभा यात्रा पर हमला कर दिया. समिति ने कुछ चश्मदीद गवाह भी पेश किये हैं, जो हमले के बाद घायल हो गए थे. 28 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता और वीएचपी सदस्य उमाशंकर जिन पर तलवार से हमला किया गया और उनकी गर्दन और पैरों में चोटें आईं. उमाशंकर ने कहा कि मैं ही था जिसने अंसार को पहचाना, वह हमलावरों के समूह का नेतृत्व कर रहा था. यहां तक कि महिलाएं भी हम पर पथराव कर रहीं थीं और बोतलें फेंक रही थीं. पुलिस ने मुझे बचाया और अस्पताल ले गये, नहीं तो वे मुझे मार देते. क्योंकि शोभा यात्रा का नेतृत्व उमाशंकर कर रहे थे.