नई दिल्ली:नाथों के नाथ प्रभु जगन्नाथ का धाम (Jagannath Temple) 16 अगस्त से भक्तों के दर्शन पूजन के लिए खुल जाएगा. हालांकि इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) का ध्यान रखते हुए विशेष सावधानी बरती जाएगी. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने सोमवार को मंदिर को 16 अगस्त से श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोलने का फैसला किया. प्रशासन ने कहा कि भक्तों को कोरोना का टीका लगवाना होगा या 96 घंटे पहले की आरटी-पीसीआर (RTPCR) रिपोर्ट पेश करनी होगी.
पुराणों में जगन्नाथ धाम की अपार महिमा है, इसे धरती का बैकुंठ भी कहा गया है. जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है. मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा दाईं तरफ स्थित है. बीच में उनकी बहन सुभद्रा की प्रतिमा है और बIईं तरफ उनके बड़े भाई बलभद्र (बलराम) विराजते हैं. महाप्रभु जगन्नाथ (श्री कृष्ण) को कलयुग का भगवान भी कहा जाता है.
मान्यता है कि मंदिर में मौजूद प्रतिमा के अंदर ब्रह्माजी का वास है. जब भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म स्थापना के लिए धरती पर अवतार लिया तब उनके पास अलौकिक शक्तियां थीं, लेकिन शरीर मानव का था. जब धरती पर उनका समय पूरा हो गया तो वे शरीर त्यागकर अपने धाम चले गए. इसके बाद पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया, लेकिन शरीर के ब्रह्मलीन होने के बाद भी उनका हृदय जलता ही रहा. पांडवों ने इसे जल में प्रवाहित कर दिया. जल में हृदय ने लट्ठे का रूप धारण कर लिया और ओडिशा के समुद्र तट पर पहुंच गया. यही लठ्ठा राजा इंद्रदुयम्न को मिल गया. मालवा नरेश इंद्रद्युम्न, जो भगवान विष्णु के भक्त थे.