कोलकाता : जादवपुर को एक समय में 'कलकत्ता का लेनिनग्राद' कहा जाता था. आज माकपा पश्चिम बंगाल में अपने राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है. वहीं तृणमूल कांग्रेस अपने मुख्य विरोधी भाजपा की लहर से घबराई और उसे सत्ता से बाहर रखने के लिए पर्याप्त सीटें प्राप्त करने की जीतोड़ कोशिश कर रही है. जिससे दोनों दलों के बीच एक अद्भुत संग्राम की जमीन तैयार हो गई है.
तृणमूल ने 10 साल पहले राज्य में वाम शासन को समाप्त कर दिया था. कोलकाता के दक्षिणी उपनगर में जादवपुर विधानसभा सीट पर 10 अप्रैल को होने जा रहा चुनाव दरअसल बंगाल के लिए सबसे बड़ी लड़ाई का प्रतीक बन गया है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के क्षेत्र में पड़ने वाली सभी विधानसभा सीटें टीएमसी के हाथों हारने के बाद पूर्वी महानगर के अपने इस अंतिम गढ़ को बचाने के लिए लड़ रही है.
जादवपुर एकमात्र सीट है जो इसने 2016 में फिर से जीतने में कामयाबी हासिल की थी. हालांकि 2019 में जादवपुर लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव में, वाम मोर्चे के प्रत्याशी बिकास रंजन भट्टाचार्य टीएमसी की मिमी चक्रवर्ती से करीब 12,000 मतों से पीछे रहे थे. वहीं, टीएमसी के लिए यह लड़ाई इस सीट को फिर से जीतने की है, जो उसने 2016 में माकपा के हाथों गंवा दी थी.