श्रीनगर :कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में पूर्व आतंकवादियों (former militants), अलगाववादियों (separatists) और उनके रिश्तेदारों (relatives) के लिए विदेश यात्रा करने के लिए पासपोर्ट प्राप्त करना कठिन हो गया है, क्योंकि पुलिस आतंकवाद के साथ उनके संबंधों के कारण सत्यापन से इनकार करती है.
जम्मू और कश्मीर पुलिस की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) विंग द्वारा प्रतिकूल रिपोर्ट का हवाला देते हुए सैकड़ों पूर्व आतंकवादियों और उनके रिश्तेदारों को पासपोर्ट से वंचित कर दिया गया है.
महबूबा मुफ्ती का याचिका भी हुई थी खारिज
हालांकि, हाल के वर्षों में इस चेतावनी का इस्तेमाल घाटी में कई प्रमुख हस्तियों की यात्रा को प्रतिबंधित करने के लिए भी किया गया है. 5 अगस्त, 2019 के बाद महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti ) सहित कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग द्वारा प्रतिकूल रिपोर्ट सामने आने के बाद पासपोर्ट से वंचित कर दिया गया था. महबूबा मुफ्ती ने उच्च न्यायालय ( High Court) में अपील भी की लेकिन अदालत ने पुलिस द्वारा प्रतिकूल रिपोर्ट (adverse report) का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी.
घाटी में पासपोर्ट जारी करना पूरी तरह से पुलिस विभाग की सीआईडी विंग के सत्यापन पर निर्भर करता है. जिस व्यक्ति को पासपोर्ट से इनकार किया जाता है वह अदालत में याचिका दायर करता है लेकिन बहुत कम भाग्यशाली होते हैं जिनके लिए अदालत बचाव के लिए आती है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें भी अज्ञात कारणों से पासपोर्ट से वंचित कर दिया गया है.