नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय शनिवार को असम के विभिन्न उग्रवादी संगठनों के साथ एक और शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है, लेकिन यह सवाल अभी भी जिंदा है कि क्या यह समझौता क्षेत्र में शांति ला सकता है?
असम के कार्बी आंगलोंग जिले के पांच अलग-अलग आतंकवादी संगठन जिनमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी आंगलोंग (People's Democratic Council of Karbi Anglong), कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (Karbi Longri NC Hills Liberation Front ), कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (Karbi People's Liberation Tiger ), कुकी लिबरेशन फ्रंट (Kuki Liberation Front) और यूनाइटेड पीपल्स लिबरेशन आर्मी (United Peoples Liberation Army ) शामिल हैं. अशांत सेंट्रल असम में दशकों से चल रहे उग्रवाद को समाप्त करने के लिए शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.
बता दें कि 2011 में केंद्र, असम सरकार और यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी (United People's Democratic Solidarity) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
यूनाइटेड पीपुल्स डेमोक्रेटिक सॉलिडेरिटी 1999 में दो विद्रोही समूहों कार्बी नेशनल वालंटियर्स (Karbi National Volunteers) और कार्बी पीपुल्स फ्रंट (Karbi Peoples Front ) के विलय के साथ बनाया गया था.
समझौते को कार्बी आंगलोंग के विकास के लिए एक विशाल वित्तीय पैकेज (financial package ) जारी करने के साथ चिह्नित किया गया था.
यूपीडीएस ने 2002 में भारत सरकार के साथ युद्धविराम समझौते (ceasefire agreement) पर हस्ताक्षर किए. समझौते ने गुट को दो समूहों, यूपीडीएस (प्रो-टॉक) और यूपीडीएस (एंटी टॉक) में बांट दिया.
2004 में बात विरोधी गुट ने नाम बदलकर कार्बी लोंगरी एनसी हिल्स लिबरेशन फ्रंट (Karbi Longri NC Hills Liberation Front ) कर दिया गया. KLNLF ने कुछ वर्षों तक भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ने के बाद तीन सदस्यीय टीम बनाकर 2012 में वार्ता को फिर से शुरू करने का आह्वान किया.
ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में KLNLF के प्रचार सचिव राजेक डेरा ने कहा कि हम अलग कार्बी राज्य के लिए लड़ रहे हैं. हालांकि, हमें समझ में आया कि एक अलग राज्य व्यवहार्य नहीं है, इसलिए हमने पहले से मौजूद कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (Karbi Anglong Autonomous Council) के स्वीकार करने का फैसला किया.
कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) का गठन 1952 में कार्बी आंगलोंग जिला परिषद (KADC) के नाम से किया गया था. बाद में इसे KAAC नाम दिया गया.
KAAC का उद्देश्य असम सरकार में निहित प्रशासनिक शक्ति के साथ भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत कार्बी आंगलोंग क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों का समग्र विकास और संरक्षण (development and protection of tribals) करना है.
कार्बी आंगलोंग के पांच सक्रिय विद्रोही संगठन केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.
KLNLF के नेता डेरा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि शांति समझौते पर हस्ताक्षर से कार्बी आंगलोंग में अशांति का अंत निश्चित रूप से होगा.
1500 करोड़ रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता और केएएसी को सशक्त बनाने के अलावा, समझौते से स्वायत्त परिषद को और अधिक वित्तीय ताकत मिलने की भी संभावना है.
डेरा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत सरकार के समेकित खोज से सीधे स्वायत्त परिषद को धन जारी करने का प्रावधान किया गया है.