नई दिल्ली: एनसीपीप्रमुख शरद पवार का कहना है कि JPC की मांग सभी विपक्षी दलों ने की. ये बात सच है लेकिन उनको लगता है कि जेपीसी में 21 में से 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के ही होंगे. वैसे जहां ज्यादातर लोग सत्ताधारी पर्टी के हों वहां देश के सामने सच्चाई आ पाना थोड़ा मुश्किल है. उन्होंने कहा कि एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे. टाटा का देश में योगदान है. आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है?
इससे पहले एनसीपी प्रमुख और वरिष्ठ विपक्षी नेता शरद पवार ने कहा था कि अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति की जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति प्रासंगिक जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी समूह को टारगेट किया गया था. उन्होंने कहा कि किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा मच गया. ऐसे बयान पहले भी दिए गए, जिससे बवाल मच गया लेकिन इस बार मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से ज्यादा था.
शरद पवार ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि यह सोचने की जरूरत है कि आखिर यह मुद्दा (रिपोर्ट दी) किसने उठाया. पवार ने कहा कि बयान देने वाले का नाम उन्होंने नहीं सुना. इसकी पृष्ठभूमि क्या है? एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि जब देश में इस तरह के मुद्दे उठते हैं तो हंगामा हो जाता है. इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है, इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. पवार ने कहा कि ऐसी चीजों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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राकांपा प्रमुख की टिप्पणी कांग्रेस की उस टिप्पणी से भिन्न है, जिसने हिंडनबर्ग-अडानी मामले की जेपीसी जांच पर जोर दिया है. पवार ने कहा कि कुछ अन्य विपक्षी दलों ने भी जेपीसी जांच की मांग का पुरजोर समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति को दिशानिर्देश, एक समय सीमा दी गई है और जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जो यह जांच करेगी कि अडानी मामले की जांच कर रही है.