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IT searches In Karnataka : आयकर विभाग ने कर्नाटक में की तलाशी और जब्ती की कार्रवाई

आयकर विभाग ने कर्नाटक राज्य में कुछ सहकारी बैंकों के मामले में तलाशी और जब्ती अभियान शुरू किया. ये सहकारी बैंक अपने ग्राहकों की विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के धन को इस तरह से रूट करने में लगे हुए हैं, ताकि उन्हें अपनी कर देनदारियों से बचया जा सके.

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प्रतिकात्मक तस्वीर

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Published : Apr 12, 2023, 12:04 PM IST

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने हाल ही में कर्नाटक में कई सहकारी बैंकों में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की. विभाग की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि बैंको ने अपने ग्राहकों की विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं के धन के रूटिंग मदद की है. ताकि ग्राहक कर की देनदारियों से बच सकें. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तरह से धन के रुटिंग का आंकड़ा लगभग 1,000 करोड़ रुपये हो सकता है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि तलाशी और जब्ती की कार्रवाई 31 मार्च को शुरू की गई थी. इसमें विभिन्न सहकारी बैंकों के कुल 16 परिसरों को कवर किया गया था.

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आयकर विभाग ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि कई आपत्तिजनक सबूत, दस्तावेजों की हार्ड कॉपी और डेटा की सॉफ्ट कॉपी, तलाशी के दौरान पाए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया. तलाशी कार्रवाई के परिणामस्वरूप 3.3 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब नकदी और 2 करोड़ रुपये से अधिक के बेहिसाब सोने के आभूषण भी जब्त किए गए. विभाग की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि तलाशी कार्रवाई के दौरान हार्ड कॉपी दस्तावेजों और सॉफ्ट कॉपी डेटा के रूप में बड़ी संख्या में आपत्तिजनक साक्ष्य पाए गए, जिन्हें जब्त किया गया.

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बताया गया कि जब्त किए गए सबूतों से पता चला है कि ये सहकारी बैंक विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं द्वारा जारी किए गए विभिन्न काल्पनिक गैर-मौजूद संस्थाओं के नाम पर जारी किए गए बियरर चेकों में बड़े पैमाने पर छूट देने में लिप्त थे. इन व्यापारिक संस्थाओं में ठेकेदार, रियल एस्टेट कंपनियां आदि शामिल थीं. ऐसे बियरर चेक पर छूट देते समय केवाईसी मानदंडों का पालन नहीं किया गया था. छूट काटने के बाद की राशि इन सहकारी बैंकों में रखी गई कुछ सहकारी समितियों के बैंक खातों में जमा की गई.

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यह भी पता चला कि कुछ सहकारी समितियों ने बाद में अपने खातों से नकदी में धन निकाल लिया और व्यावसायिक संस्थाओं को नकद वापस कर दिया. बड़ी संख्या में चेकों की इस तरह की छूट का उद्देश्य नकद निकासी के वास्तविक स्रोत को छिपाना था, और व्यापारिक संस्थाओं को फर्जी खर्चों को बुक करने में सक्षम बनाना था. इस गड़बड़ी में, सहकारी समितियों को एक माध्यम के रूप में उपयोग किया गया है. इसके अलावा, इस गड़बड़ी से ये व्यावसायिक संस्थाएं आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को भी दरकिनार कर रही थीं, जो अकाउंट पेयी चेक के अलावा अन्य स्वीकार्य व्यावसायिक व्यय को सीमित करता है. इन लाभार्थी व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा इस तरह से बोगस खर्च लगभग 1,000 करोड़ रुपये का हो सकता है.

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(एएनआई)

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