नई दिल्ली : अमेरिकी कंपनी गूगल एलएलसी (google LLC) ने दावा किया कि डिजिटल मीडिया के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के नियम उसके सर्ज इंजन (search engine) पर लागू नहीं होते और उसने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) से बुधवार को अनुरोध किया कि वह एकल न्यायाधीश के उस आदेश को दरकिनार करे, जिसके तहत इंटरनेट से आपत्तिजनक सामग्री हटाने संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी पर भी इन नियमों को लागू किया गया था.
एकल न्यायाधीश की पीठ ने उस मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया था, जिसमें एक महिला की तस्वीरें कुछ बदमाशों ने अश्लील (पॉर्नग्रैफिक) सामग्री दिखाने वाली एक वेबसाइट पर अपलोड कर दी थीं और उन्हें अदालत के आदेशों के बावजूद वर्ल्ड वाइड वेब (world wide web) से पूरी तरह हटाया नहीं जा सका था एवं इन तस्वीरों को अन्य साइट पर फिर से पोस्ट किया गया था.
प्रधान न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, फेसबुक, अश्लील सामग्री दिखाने वाली (पॉर्नग्रैफिक) साइट और उस महिला को नोटिस जारी किए, जिसकी याचिका पर एकल न्यायाधीश ने आदेश जारी किया था. पीठ ने उनसे 25 जुलाई तक गूगल की याचिका पर जवाब देने के निर्देश दिये हैं.
अदालत ने यह भी कहा कि वह इस चरण अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं देगी. इससे पहले गूगल ने पीठ से कहा था कि वह मध्यस्थ है, लेकिन वह सोशल मीडिया मध्यस्थ नहीं है. गूगल ने एकल पीठ द्वारा तय दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने की स्थिति में बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा दिए जाने का अनुरोध किया.
कंपनी ने एकल न्यायाधीश की उस टिप्पणी को भी हटाने का अनुरोध किया, जिसमें कहा गया था कि गूगल एक सोशल मीडिया मध्यस्थ है.
गूगल ने दावा किया कि एकल न्यायाशीश ने 20 अप्रैल के अपने आदेश में नए नियम के अनुसार 'सोशल मीडिया मध्यस्थ' या 'महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ' के तौर पर उसके सर्च इंजन का 'गलत चित्रण' किया.