चंडीगढ़ : अदालत की एकल पीठ ने पंजाब के बठिंडा के 17 साल की एक लड़की और 20 साल के लड़के की याचिका पर यह आदेश दिया. इस जोड़े ने अपनी जान की सुरक्षा और परिवार के सदस्यों से आजादी के लिए अनुरोध किया था.
अदालत ने कहा कि उत्तरी भारत में खासकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 'ऑनर किलिंग' की घटनाएं होती रहती हैं और कहा कि ऐसे जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य की है.
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि लड़की के अभिभावक उसकी शादी कहीं और कराना चाहते थे क्योंकि उन्हें दोनों के संबंधों का पता चल गया था. लड़की अपने अभिभावक के घर से निकल गई और अपने जीवनसाथी के साथ रहने लगी. विवाह योग्य उम्र नहीं होने के कारण उन्होंने शादी नहीं की.
जोड़े ने बताया कि उन्होंने बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इस संबंध में पंजाब के सहायक महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि जोड़े की शादी नहीं हुई है और वे लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं.
आगे उन्होंने कहा कि हाल में कुछ पीठों ने ऐसे मामलों को खारिज कर दिया जहां ऐसे रिश्तों में रह रहे जोड़े ने सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति संत प्रकाश ने तीन जून के अपने आदेश में लिखा कि अगर किसी ने शादी के बिना ही साथ रहने का फैसला किया है तो ऐसे लोगों को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार करना न्याय का मखौल होगा और ऐसे लोगों को उन लोगों से गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं, जिनसे उनकी सुरक्षा की जरूरत है.
न्यायाधीश ने कहा ऐसी स्थिति में अगर सुरक्षा से मना किया जाता है तो अदालत भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को जीवन और आजादी के अधिकार और कानून के शासन को बनाए रखने में अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम होंगी.