औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने की शिवसेना की मांग को लेकर महाराष्ट्र में एक साल पुरानी महा विकास अघाड़ी सरकार के बीच मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है. इतिहासकारों का कहना है कि शहर को अतीत में कई अन्य नामों से भी जाना जाता रहा है.
इतिहासकार डॉ. दुलारी कुरैशी ने कहा कि शहर का अतीत में राज तडाग, खड़की और फतेहनगर नाम भी रहा है. उन्होंने कहा कि कान्हेरी गुफाओं में एक शिलालेख है, जिसमें शहर को राज तडाग (शाही झील) कहे जाने का उल्लेख है. 'द आइकोनोग्राफी ऑफ द बुद्धिस्ट स्कल्प्चर्स ऑफ एलोरा' नामक पुस्तक में इसके लेखक डॉ. रमेश शंकर गुप्ते ने भी उल्लेख किया है कि इस शहर को पहले राज तडाग कहा जाता था.
इस नाम का इस्तेमाल 10वीं शताब्दी तक किया जाता रहा और पहले के व्यापार मार्गों में भी इस नाम का उल्लेख मिलता है. उज्जैन-टेर व्यापार मार्ग महेश्वर, बुरहानपुर, अजंता, भोकरदान, राज तडाग, प्रतिष्ठान (पैठण) और उस्मानाबाद जिले के टेर से गुजरता था.
इतालवी लेखक पिया ब्रांकासियो ने 'बुद्धिस्ट केव्स ऐट औरंगाबाद: ट्रांसफॉर्मेशन इन आर्ट एंड रिलीजन' नामक पुस्तक में कहा है कि 10वीं शताब्दी में राज तडाग कपास के सामान के लिए प्रसिद्ध था.
कुरैशी ने कहा कि शहर को उस समय खड़की के नाम से भी जाना जाता था, जब 400 साल पहले मलिक अंबर सिद्दी सैन्य शासक थे. खड़की नाम इस जगह के चट्टानी इलाके को दर्शाता है.
इतिहासकार रफत कुरैशी ने कहा कि वर्तमान औरंगाबाद का नाम औरंगजेब काल के दौरान खुजिस्ता बुनियाद (शुभ नींव) भी रखा गया था, लेकिन यह नाम थोड़े समय के लिए ही था. बाद में औरंगजेब ने शहर का नाम अपने नाम पर रखा और इसे 1653 से औरंगाबाद के रूप में जाना जाता है.