नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने पर जोर देते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाई है. साथ ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की मंगलवार की बैठक में लिए गए निर्णयों का पालन करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, पर्यावरणविदों ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश पारित करने में देरी पर चिंता व्यक्त की क्योंकि दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है.
इस मामले पर बोलते हुए पर्यावरणविद् मनु सिंह ने कहा, ' मुझे ये काफी अजीब लगता है. मैं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की उम्मीद कर रहा था क्योंकि यह स्थिति जारी है. एससी के अनुसार इस मुद्दे पर कोई ठोस उपाय नहीं हो रहे हैं, ये रवैय्या पूरी नौकरशाही तक फैल रहा है. यह पूरे देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है जब मुद्दे पर्यावरण से संबंधित हैं.'
सिंह ने कहा, 'अकेले दिल्ली में कई रिपोर्टों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के कारण 3.5 लाख से अधिक लोग मारे गए हैं. ये कोविड जैसी गंभीर महामारी की उपस्थिति से और तेज हुआ है. कमजोर प्रतिरक्षा और प्रभावित फेफड़ों के साथ हम महामारी से निपट रहे हैं और अब हमें प्रदूषण से निपटना होगा. इस समय, अगर हम सिर्फ निर्देश और सलाह जारी कर रहे हैं तो इससे कुछ नहीं हासिल होने वाला है.'
दरअसल जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत वाली बेंच ने नौकरशाही की आलोचना करते हुए कहा कि ' काफी समय से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि नौकरशाही में एक तरह की निष्क्रियता विकसित हो गई है. वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती. वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है. किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है. हर काम हमें ही करना होगा. यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है.'