बेंगलुरु:जयनगर में शनिवार को मिनर्वा आरवी सेंटर फॉर लीडरशिप एंड एक्जीक्यूटिव एजुकेशन के साथ साझेदारी में फ्रोब (किताबों के मित्र) द्वारा एक पुस्तक पर एक चर्चा का आयोजन किया गया. इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि इसरो के विकास के शुरुआती वर्षों में, संगठन के पास सपने देखने वालों का एक समूह था.
जिन्होंने बाद में खुद को कर्ता-धर्ता का समूह बना लिया. यह परिवर्तन पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न बाधाओं और असफलताओं के माध्यम से आया. इसरो के अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा, विक्रम साराभाई को उत्साही वैज्ञानिकों के साथ इस स्वप्निल संगठन को शुरू करने का दृढ़ विश्वास था और रामभद्रन अरावमुदन उनमें से एक थे. कार्यक्रम में बोलते हुए सोमनाथ ने बताया कि शुरुआती चरण में इसरो के विकास को अराजक दौर का सामना करना पड़ रहा था.
कई स्थानों पर विभिन्न क्षमताओं का पता लगाने के लिए रैडम तरीके अपनाए जा रहे थे. उन्होंने बताया कि रामभद्रन अरावमुदन ने उन अनिश्चित स्थितियों का बहुत सामना किया. सतीश धवन ही वो शख्स हैं जिन्होंने बेतरतीब राह को एक ढांचा दिया. चरणबद्ध तरीके से काम पूरा करने का निर्देश दिया गया. दिशा लक्ष्य निर्धारित किये गये.