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चमोली आपदा : इसरो ने जारी की सेटेलाइट तस्वीरें, असली कारणों का लगा पता - glacier burst

इसरो ने सैटेलाइट इमेज जारी की हैं, जिसके बाद चमोली में आई आपदा के कारणों के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

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Published : Feb 8, 2021, 3:06 PM IST

देहरादून :चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा को लेकर इसरो ने सैटेलाइट इमेज जारी की है, जिसके बाद चमोली में आई आपदा के कारणों का कुछ हद तक पता लग पाया है. इन तस्वीरों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

चमोली जिले के जोशीमठ में आई आपदा में अभी भी बचाव और राहत का कार्य चल रहा है. अब तक 200 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं और 19 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं. वहीं लापता लोगों में तपोवन एनटीपीसी प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 35 लोगों को बचाने का काम लगातार जारी है.

ग्लेशियर ही नहीं टूटा, ताजा बर्फ भी हुई थी इकट्ठा

चमोली में आई इस आपदा के कारणों को लेकर सभी तकनीकी पहलुओं पर कल से ही काम शुरू हो गया है. आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा केंद्र सरकार ने इसरो को चार्टर लागू करने के लिए अनुरोध किया गया था. जिसके बाद इसरो ने अंतराष्ट्रीय चार्टर लागू किया. इसरो को अमेरिकन प्राइवेट सेटेलाइट कंपनी से तस्वीरें मिली हैं जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं.

ऐसा पता लगा है कि चमोली में धौली गंगा नदी के ओरिजन नंदा देवी के पहाड़ों पर पिछले 2 फरवरी से 5 फरवरी तक भारी बर्फबारी हुई थी, जिसके चलते पहाड़ों पर भारी संख्या में बर्फ जमा हो गई थी और जब 6 फरवरी को मौसम खुला तो बर्फ का पूरा हिस्सा नीचे खिसक गया, जोकि सेटेलाइट इमेज में साफ दिख रहा है.

इसरो द्वारा जारी किए गए इंटरनेशनल चार्टर के बाद जानकारी मिली है कि अमेरिकन की प्राईवेट अर्थ ईमेज कंपनी 'प्लेनेट लैब' जोकि सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया बेस्ड है, उसका सेटेलाइट आपदा क्षेत्र के ऊपर से गुजर रहा था. सेटेलाइट कंपनी से आई इमेज में यह साफ हो गया है कि विगत 2 फरवरी से 5 फरवरी तक हुई बर्फबारी से ताजा बर्फ ग्लेशियर के चट्टान वाले हिस्से पर जमनी शुरू हो गई थी, जो मौसम साफ होने के बाद एक साथ नीचे फिसल गई.

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क्या होता है इंटरनेशनल चार्टर

जब भी किसी देश या धरती के किसी हिस्से पर आपदा आती है. स्पेस सेटेलाइट ऑर्गनाइजेशन अंतराष्ट्रीय नियम के मुताबिक, उस देश द्वारा चार्टर लागू किया जाता है. उस स्पेसिफिक जगह से गुजरने वाले सभी सेटेलाइट को सूचना मिल जाती है, जो भी सेटेलाइट उस जगह से गुजरेगा, उसे तस्वीरें साझा करनी होती हैं. इसे ही इंटरनेशनल चार्टर कहते हैं.

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