मुंबई: इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है. शनिवार सुबह करीब 6:30 बजे हमास ने इजरायल पर क्रूर हमला किया. इसके बाद से ही वहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. घरों में मातम भी पसर गया है. पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहने वाले और 1969 में इजरायल चले गए अव्राहम नागांवकर ने इस स्थिति पर अफसोस जताया और वहां की स्थिति के बारे में बताया.
उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए ईटीवी भारत को बताया कि यहां हमारा खाना किसी को पसंद नहीं आता. गाजा पट्टी क्षेत्र में 22 गांव हैं. इन गांवों में आतंकी घुस आए. घटना शनिवार सुबह करीब साढ़े छह बजे की है. उस समय हमें सायरन दिया गया. अब तक दो बार सायरन बज चुका था. इज़रायल में आपातकाल के समय हर घर को एक सायरन प्रदान किया जाता है, जिसे आत्मरक्षा और सतर्कता के लिए समझा जा सकता है.
सायरन बजने के बाद घर के सभी लोगों को बंकर में जाकर छिपना पड़ता है. इजरायल में सरकार ने हर किसी के घर में बंकर बनाना अनिवार्य कर दिया है. सायरन बजने के बाद ज्यादातर लोग बंकरों में छिप जाते हैं. हालांकि, सौभाग्य से युद्ध की लपटें हमारे शहर तक नहीं पहुंचीं. अव्राहम नागवकर ने कहा कि मैं डिमोरा शहर में रहता हूं. डिमोरा शहर गाजा पट्टी से 60 किलोमीटर दूर है.
इजरायल में 'शबात' त्यौहार था: उन्होंने आगे कहा कि मैं पंद्रह साल तक मुंबई के उमरखाड़ी इलाके में रहा. मेरी स्कूली शिक्षा मझगांव के एक यहूदी स्कूल में हुई. फिर 1969 से मैं अपने परिवार के साथ इज़रायल आ गया. मेरे परिवार में मेरी पत्नी, बेटी और बेटा, दामाद हैं. अव्राहम ने आगे कहा कि डिमोरा शहर जहां हम रहते हैं, उसकी आबादी लगभग 30 हजार है. यहां हर शुक्रवार को 'शब्बत' का त्योहार मनाया जाता है.