टीकमगढ़।इजरायल हमास युद्ध के बीच जिले के कुंडेश्वर की एक छात्रा यरूशलेम में फंस गई है. एग्रीकल्चर की पढ़ाई करके इसी महीने देश वापस आने की तैयारी कर रही छात्रा ने अपने पिता को फोन पर वहां के हालातों के बारे में बताया है. किस तरह हॉस्टल के बचे खुचे खाने से काम चल रहा है. वहां किस तरह खौफ का माहौल है. सायरन बजते ही हॉस्टल में भगदड़ मच जाती है. बंकर में पहुंचने के लिए सिर्फ 90 सेकंड का समय मिलता है. टीकमगढ़ के अलावा भारत और दूसरे देशों के छात्र युद्ध के बीच घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं.
परिजनों को बेटी का इंतजार: टेलीविजन और सोशल मीडिया पर इजरायल हमास युद्ध की तस्वीरें सोचने पर मजबूर कर देती है कि इन हालातों के बीच जो लोग युद्ध में फंसे हुए हैं, उन पर क्या बीत रही होगी. ऐसी ही चिंता टीकमगढ़ के शिव धाम कुंडेश्वर कुंडेश्वर की स्वाति सीरोठिया के परिवार की हो रही है. जो अपनी डिग्री पूरी करके इसी महीने घर वापसी करने वाली थी, लेकिन युद्ध के बीच फंस गई. स्वाति सिरोठिया 2020 में इसराइल के येरूशलेम की हिब्रू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में मास्टर डिग्री करने गई थी. अपनी पढ़ाई पूरी करके स्वाति इसी महीने घर वापस आने वाली थी, लेकिन इजराइल पर हुए हमले में फंस गई.
सायरन बजते ही 90 सेकेंड में जाना होता बंकर में:स्वाति के पिता राजेंद्र सिरोठिया का कहना है कि "मंगलवार सुबह स्वाति से बात हुई थी और उसने बताया था कि वह हॉस्टल में सुरक्षित है, लेकिन सब बच्चे और जो भी लोग मौजूद हैं, काफी डरे हुए हैं. हॉस्टल में जो भी कुछ खाने पीने का समान है, उसी से काम चल रहा है. सायरन बजते ही हॉस्टल में भगदड़ मच जाती है, क्योंकि सबको बंकर में जाना होता है. बंकर में जाने में सिर्फ डेढ़ मिनट का समय मिलता है." स्वाति के पिता राजेंद्र सीरोठिया टीकमगढ़ के अस्तौन गांव में फार्मासिस्ट पद पर पदस्थ हैं.