नई दिल्ली : इजराइल और हमास के बीच संघर्ष धीमा होने के बजाए तेज हो रहा है. इजराइल ने ग्राउंड ऑपरेशन शुरू करने से पहले गाजा को चारों ओर से घरे लिया है. धीरे-धीरे कर शहर की ओर बढ़ रहे हैं. रह-रहकर उनके टैंक और रॉकेट गाजा के बाहरी इलाकों पर बरस रहे हैं. कुछ रॉकेट शहर पर भी बरस रहे हैं. यूएन राहत की गुहार लगा रहा है, लेकिन ग्राउंड पर उसका असर नहीं दिख रहा है.
इजराइली सेना ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने गाजा पट्टी पर फिर से हमला किया है. उनके अनुसार ये हमले बड़ी लड़ाई से पहले के चरण हैं. इस दौरान उन्होंने हमास के कई ठिकानों को उड़ाने का दावा किया है.
उधर इजराइल के सहयोगी और प्रमुख समर्थक देश अमेरिका ने पूर्वी सीरिया के उन इलाकों पर हमला किया, जिन जगहों का कथित तौर पर ईरानी सेनाएं इस्तेमाल कर रहीं थीं. अमेरिका ने कहा कि ऐसा इसलिए क्या गया क्योंकि वे अमरीकी सेनाओं के लिए खतरा उत्पन्न रहे थे. मध्य पूर्व में अमरीकी सेनाओं ने अपनी संख्या बढ़ा दी है ताकि उनकी सुरक्षा पुख्ता रह सके. अमेरिका मानता है कि सीरिया, लेबनान और इराक में ईरान के प्रॉक्सी मौजूद हैं.
यूएनआरडब्लूए के अधिकारी फिलिप लजारनी के मुताबिक गाजा में पानी, भोजन और ईंधन लगभग खत्म हो चुका है. उनके अनुसार 20 लाख से अधिक की आबादी को दंडित करने के लिए सुविधाएं बहाल नहीं की जा रहीं हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों और महिलाओं को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यूएन अधिकारी ने यह भी कहा कि इक्का-दुक्का गाड़ियां मदद लेकर आ रहीं हैं, लेकिन इतनी बड़ी आबादी के सामने यह कुछ भी नहीं हैं, अगर लगातार मदद नहीं मिली, तो दिक्कतें बढ़ती जाएंगी.
यूएनफूड एजेंसी ने कहा कि हमने राहत सामग्री लेकर नौ ट्रक भेजे हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं. ईंधन समाप्त हो चुका है, या फिर बहुत कम बचा है, इसलिए खाना बनाने में भी परेशानी आ रही है. फ्रांस, डेनमार्क, जर्मनी और स्पेन ने 10 सर्जन गाजा भेजे हैं. वे घायलों का इलाज कर रहे हैं. गाजा के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यहां पर सौ से अधिक डॉक्टरों की मांग की है.