प्रयागराज: माघ मेले में इस्लाम से जुड़ी किताबों के बेचे जाने के मामले में पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है. मेला क्षेत्र में बांटी और बेची जा रहीं इस्लाम से जुड़ी किताबों के लिए विदेश से भी फंडिंग किए जाने के संकेत मिले हैं. पुलिस के मुताबिक हिंदुओं के धार्मिक मेले और मंदिरों के आसपास ये लोग इस्लाम का महिमा मंडन करने वाली किताबों को बेचने के साथ ही मुफ्त में भी वितरित करते थे.
गरीबों को निशुल्क किताबें देने के साथ ही उनकी तस्वीर के साथ डिटेल्स लेते थे. जिसके बाद लोगों से संपर्क कर उनका इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराते थे. इसके लिए उनके पास दूसरे देशों से भी फंड आता था. पुलिस ने इस मामले में मेला क्षेत्र में धार्मिक किताबे बांटने और बंटवाने के काम में लिप्त तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही उनके कब्जे से चार सौ से अधिक पुस्तकें जब्त की हैं.
प्रयागराज में चल रहे आस्था के सबसे बड़े माघ मेले में फुटपाथ व ठेले पर धार्मिक साहित्यों को बेचने की आड़ में इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जा रहा था. मेला क्षेत्र से पकड़े गए दो युवक इस्लाम का महिमा मंडन करने वाली किताबों को मेला क्षेत्र में गरीबों को बांट रहे थे. इस दौरान ये लोग जिन गरीबों को निशुल्क किताबें देते थे उसकी तस्वीर के साथ ही डिटेल्स ले लेते थे. जिसके बाद उनसे संपर्क करके उन्हें इस्लाम से जोड़ने का प्रयास करते थे. एडिशनल डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि पकड़े गए तीन आरोपियों का सरगना मदरसे का शिक्षक महमूद हसन गाजी है, जो युवाओं को पांच हजार रुपए महीना देकर उनसे किताबों का वितरण व बिक्री का काम करवाता था.
बड़े मंदिर और मेले में बांटते थे किताबें
प्रयागराज के एडिशनल डीसीपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि ये लोग माघ मेले के अलावा लेटे हुए हनुमान मंदिर के आसपास किताब बांटते थे. ये लोग वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और अस्सी घाट पर किताबों को मुफ्त में बांटने जाते थे. उन्होंने बताया कि पकड़े गए तीन लोगों में एक मदरसे का शिक्षक है जो किताबों को बांटने के साथ ही उन्हें छपवाने और मंगवाने का काम करता था, जिसके बदले उसके खाते में अबुधाबी से फंड आता था. पुलिस को शुरुआती जांच में इसकी जानकारी मिली है.