अहमदाबाद :सीबीआई की विशेष अदालत ने वर्ष 2004 में इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी तीन पुलिस अधिकारियों जीएल सिंघल, तरुण बरोत (अब सेवानिवृत्त) और अनाजू चौधरी को बुधवार को आरोप मुक्त कर दिया.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश वीआर रावल ने सिंघल, बरोत और चौधरी के आरोप मुक्त करने के आवेदन को मंजूरी दे दी.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 20 मार्च को अदालत को सूचित किया था कि राज्य सरकार ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है.
अदालत ने अक्टूबर 2020 के आदेश में टिप्पणी की थी उन्होंने (आरोपी पुलिस कर्मियों) आधिकारिक कर्तव्य के तहत कार्य किया था, इसलिए एजेंसी को अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत है.
उल्लेखनीय है कि 15 जून 2014 को मुंबई के नजदीक मुम्ब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी. इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई, अमजदली अकबरली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे.
पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारो लोग आतंकवादी थे और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे.
हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची की मुठभेड़ फर्जी थी, जिसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
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जानिए इशरत जहां केस में कब कब क्या हुआ?
15 जून 2004 : इशरत जहां की पुलिस मुठभेड़ में मौत
इशरत जहां तीन अन्य लोगों जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राणा और जिशान जौहर के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में पुलिस मुठभेड़ में मारी गईं. इस घटना के दिन बाद एक प्राथमिकी में उनकी पहचान आतंकवादी के रूप में कई गई थी.
जुलाई 2004 : इशरत जहां की मां ने रिट याचिका दायर की
जहां की मां शमीमा कौसर ने गुजरात हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है.
14 जुलाई 2004 : इशरत जहां पर लश्कर ए तैयबा का दावा
भारतीय मीडिया ने लाहौर स्थित गजवा टाइम्स से एक समाचार रिपोर्ट ली, जिसमें लश्कर ए तैयबा ने दावा किया कि जहां उनके ऑपरेटिव में से एक थी.
8 जून 2006 : पुलिस ने कहा कि मुठभेड़ वास्तविक थी
अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा ने गुजरात उच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें दावा किया गया कि मुठभेड़ वास्तविक थी. अदालत ने मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक न्यायिक जांच का आदेश दिया.
8 जून 2006 : लश्कर ए तैयबा ने अपने दावे पर माफी मांगी
लश्कर ने इशरत जहां को ऑपरेटिव के रूप में दावा करने की अपनी गलती के लिए माफी मांगी.
6 अगस्त 2009 : यूपीए सरकार ने एफीडेविट फाइल किया
एफीडेविट में सरकार ने फर्जी मुठभेड़ के आरोपों का जवाब दिया. हलफनामे में पाकिस्तान से आई खबर का भी जिक्र किया गया.
13 अगस्त 2009 : गुजरात हाई कोर्ट ने एनकाउंटर की जांच के आदेश दिए
गुजरात उच्च न्यायालय ने तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) को मुठभेड़ की जांच करने और यह निर्धारित करने का आदेश दिया कि एनकाउंटर वास्तविक था या नहीं.
7 सितंबर 2009 : एनकाउंटर को फेक घोषित किया गया
मुठभेड़ को अहमदाबाद महानगर मजिस्ट्रेट, एस पी तमांग ने फर्जी घोषित किया. तमांग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अपराध शाखा के अधिकारियों पर एक फर्जी मुठभेड़ में भाग लेने और चार लोगों की हत्या का आरोप लगाया गया.
9 सितम्बर 2009 : तमांग की रिपोर्ट पर स्टे
गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एक याचिका के बाद इस रिपोर्ट पर रोक लगा दी.
29 सितंबर, 2009 :यूपीए सरकार ने दूसरा हलफनामा फाइल किया
दूसरे हलफनामे में यूपीए सरकार ने इशरत जहां को लश्कर के ऑपरेटिव के रूप में पहले के संदर्भ को वापस लिया.
अक्टूबर 2010: नई एसआईटी का गठन
उच्च न्यायालय ने आर.के.राघवन के नेतृत्व में एक नई एसआईटी का गठन किया. राघवन के नेतृत्व वाली एसआईटी ने जांच शुरू करने में असमर्थता जताई. नई एसआईटी का नेतृत्व गुजरात के बाहर के एक आईपीएस अधिकारी और गुजरात कैडर के दो अधिकारी मोहन झा और सतीश वर्मा कर रहे थे.