अक्सर लोग काफी पैसा लगाकर जगह के अनुरूप बड़ी या छोटी बागवानी सजाते हैं लेकिन ज्यादातर लोग उन पौधों की देखभाल से जुड़ी आधारभूत बातों के बारें में जानकारी नही लेते है, जैसे उक्त पौधे की देखभाल कैसे करनी है , उसमें कितना पानी डालना है या उसके लिये कितनी धूप जरूरी है आदि. यहाँ तक की लोग पौधों के बीमार होने पर उनके सामान्य लक्षण या कारण भी समझ नहीं पाते हैं.
ETV भारत सुखीभवा को पौधों की देखभाल के संबंध तथा उनमें होने वाली अलग-अलग प्रकार की समस्याओं के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए इंदौर की मां दुर्गा नर्सरी संचालक बाबू बिपिन कुमार बताते हैं कि अलग-अलग मौसम में इंडोर (indoor) और आउटडोर (outdoor) दोनों प्रकार की बागवानी कि देखभाल अलग-अलग प्रकार से किया जाना जरूरी है. जैसे बरसात में जरूरत अनुसार कुछ पौधों को कम पानी की जरूरत होती है, गर्मियों में ज्यादा पानी और सर्दियों में धूप की जरूरत पौधों को ज्यादा होती है. इसके अलावा पौधों में डालने वाली खाद कि मात्रा तथा खाद का प्रकार भी पौधे की जरूरत अनुसार ही होना चाहिए. यदि ऐसा न किया जाय तो पौधे बीमार होकर मर सकते हैं.
कैसे जाने पौधों में क्या है समस्या
बिपिन कुमार बताते हैं कि पौधों की अवस्था देखकर उनकी समस्या का पता लगाया जा सकता है जैसे यदि पौधों में पानी ज्यादा डाला जा रहा हो तो मिट्टी में हमेशा ज्यादा गीलापन नजर आएगा, पौधे की पत्तियों का रंग बदल जाएगा और पौधा मुरझाया हुआ नजर आने लगेगा. ऐसी अवस्था में ज्यादातर पत्तियां पीले रंग की नजर आने लगती है. कई बार पौधों, टहनियों और तने पर फफूंद भी नजर आने लगती है. वहीं यदि पौधे में पानी कम डाला गया हो, तो गमले की मिट्टी में दरार पड़ जाती है. इसके अलावा पौधे की टहनियाँ, तना और पत्तियां भूरी नजर आने लगती है. यही नही पत्तियां सूख सूख कर गिरने लगती हैं।
धूप की जरूरत भी हर पौधे को अलग-अलग होती है. कुछ पौधों को बहुत ज्यादा धूप चाहिए होती है जैसे फल और फूलों वाले पौधे (गुलाब, गुड़हल, डहेलिया, गेंदा ) या बोनजाई आदि . वहीं कुछ पौधे जिन्हे ना के बराबर धूप की जरूरत होती है जैसे ड्रिसकेना, कैलेथिया, लैवेंडर, पार्लर पाम, बेम्बू, स्नेक प्लांट और फिलोडेन्ड्रोन आदि.
यदि कम धूप की जरूरत वाले पौधों को ज्यादा धूप में रखा जाय तो न सिर्फ उनकी पत्तियों का रंग बदल जाएगा, बल्कि वे सुख कर मरने लगेंगे, वही ज्यादा धूप की जरूरत वाले पौधों को धूप न मिले या कम मिले तो उनपर फल या फूल नही आ पाते हैं.