हैदराबाद: दुनियाभर के कई देशों के साथ बढ़ता प्रदूषण भारत के लिए भी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में हर बार जगह बनाते हैं. इस बीच दिल्ली में देश का पहला स्मॉग टावर बनाया गया है, जिसका उद्घाटन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया. कहा जा रहा है कि इससे प्रदूषित हवा साफ होगी और प्रदूषण का स्तर कम होगा. अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि ये स्मॉग टावर क्या होता है ? ये किस काम आता है ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब आपको मिलेगा ईटीवी भारत के इस एक्सप्लेनर में.
स्मॉग टावर के बारे में जानिये
स्मॉग टावर को एक बड़ा एयर प्यूरीफायर कह सकते हैं, जो हवा को साफ करता है. दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए देश का पहला स्मॉग टावर दिल्ली के कनॉट प्लेस में लगाया गया है. जिसे टाटा प्रोजेक्ट्स ने बनाया है. करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से बना ये स्मॉग टावर 24 मीटर ऊंचा है. जिसमें सबसे ऊपर 6 मीटर का झरोखा बनाया गया है जहां से प्रदूषित हवा टावर में पहुंचेगी. टावर के बीच वाले हिस्से के अंदर दो परतों में 5000 फिल्टर लगे हैं और टावर के सबसे निचले हिस्से में हर तरफ 10-10 के हिसाब से कुल 40 पंखे लगे हैं.
कैसे काम करता है ?
जानकारी के मुताबिक इस टावर में अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित एयर क्लीनिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. टावर के सबसे ऊपरी हिस्से से प्रदूषित हवा टावर के अंदर पहुंचती है. टावर के बीच में लगे 5000 फिल्टर्स उस हवा को साफ करते हैं और सबसे नीचे लगे पंखों के सहारे साफ हवा बाहर निकलती है. टावर के निचले हिस्से में लगा हर पंखा प्रति सेकेंड 25 घन मीटर साफ हवा फेंक सकता है. इस हिसाब से 40 पंखे एक सेकेंड में कुल 1000 घन मीटर साफ हवा फेंकते हैं.
प्रदूषण कम करने की कोशिश है स्मॉग टावर
ये स्मॉग टावर आस-पास के एक किलोमीटर के दायरे की प्रदूषित हवा को खींचेगा और फिर उसे साफ करेगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये एक प्रयोग है जो सफल रहा तो इस तरह के कई स्मॉग टावर दिल्ली में लगाए जाएंगे. आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बॉम्बे के लोग इस डाटा का विश्लेषण करेंगे और यह बताएंगे कि यह स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने में कितना प्रभावी है.
क्या प्रदूषण के खिलाफ कारगर है स्मॉग टावर ?
विशेषज्ञों के मुताबिक स्मॉग टावर लगाना एक खर्चीला आइडिया है जिससे तात्कालिक समाधान तो मिलेगा लेकिन ये लंबे समय तक प्रदूषण के खिलाफ कारगर होगा, इसका कोई प्रमाण नहीं है. जानकार कहते हैं कि सरकारों को प्रदूषण के मूल कारणों से निपटने की योजना बनानी चाहिए.
विशेषज्ञों की राय है कि स्मॉग टावर कैसे और कितना प्रभावी है इसपर नजर रखने के बाद इससे जुड़े आंकड़े और जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. इसके सफल होने के बाद ही दूसरे राज्यों या शहरों को इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए. विशेषज्ञों के एक पैनल ने अनुमान लगाया था कि दिल्ली के प्रदूषण को देखते हुए राजधानी में 200 से ज्यादा स्माॉग टावरों की जरूरत पड़ेगी, जो बहुत खर्चीला भी है और समस्या का स्थायी समाधान भी नहीं है.
चीन ने कैसे पाया प्रदूषण पर काबू ?
आज से करीब 10 साल पहले तक चीन के ज्यादातर शहरों की हवा में प्रदूषण का स्तर तय मानकों से कई गुना अधिक था. तब बीजिंग दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होता था और चीन के कुछ और शहर भी इस सूची में होते थे. लेकिन चीन ने साल 2012-13 में प्रदूषण के खिलाफ जंग का ऐसा ऐलान किया कि आज चीन के ज्यादातर शहरों की हवा साफ हो चुकी है. लेकिन ये सिर्फ स्मॉग टावर और बड़े-बड़े एयरप्यूरिफायर लगाने से मुमकिन नहीं हुआ. चीन ने ऐसी नीतियां बनाई जिससे ये सभव हुआ.