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क्या है दिल्ली के स्मॉग टावर का चीन कनेक्शन, क्या ये प्रदूषण के खिलाफ कारगर है ? - एयर प्यूरिफायर

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी के कनॉट प्लेस में एक स्मॉग टावर लगाया है. कहा जा रहा है कि ये प्रदूषण के खिलाफ कारगर साबित होगा. आखिर क्या है ये स्मॉग टावर ? ये काम कैसे करता है ? क्या ये सच में प्रदूषण के खिलाफ कारगर है ? और इस पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं ? जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर

smog tower
smog tower

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Published : Aug 26, 2021, 8:23 PM IST

हैदराबाद: दुनियाभर के कई देशों के साथ बढ़ता प्रदूषण भारत के लिए भी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के कई शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में हर बार जगह बनाते हैं. इस बीच दिल्ली में देश का पहला स्मॉग टावर बनाया गया है, जिसका उद्घाटन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया. कहा जा रहा है कि इससे प्रदूषित हवा साफ होगी और प्रदूषण का स्तर कम होगा. अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि ये स्मॉग टावर क्या होता है ? ये किस काम आता है ? ऐसे तमाम सवालों का जवाब आपको मिलेगा ईटीवी भारत के इस एक्सप्लेनर में.

स्मॉग टावर के बारे में जानिये

स्मॉग टावर को एक बड़ा एयर प्यूरीफायर कह सकते हैं, जो हवा को साफ करता है. दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए देश का पहला स्मॉग टावर दिल्ली के कनॉट प्लेस में लगाया गया है. जिसे टाटा प्रोजेक्ट्स ने बनाया है. करीब 14 करोड़ रुपये की लागत से बना ये स्मॉग टावर 24 मीटर ऊंचा है. जिसमें सबसे ऊपर 6 मीटर का झरोखा बनाया गया है जहां से प्रदूषित हवा टावर में पहुंचेगी. टावर के बीच वाले हिस्से के अंदर दो परतों में 5000 फिल्टर लगे हैं और टावर के सबसे निचले हिस्से में हर तरफ 10-10 के हिसाब से कुल 40 पंखे लगे हैं.

ऐसे काम करता है स्माॉग टावर

कैसे काम करता है ?

जानकारी के मुताबिक इस टावर में अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित एयर क्लीनिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. टावर के सबसे ऊपरी हिस्से से प्रदूषित हवा टावर के अंदर पहुंचती है. टावर के बीच में लगे 5000 फिल्टर्स उस हवा को साफ करते हैं और सबसे नीचे लगे पंखों के सहारे साफ हवा बाहर निकलती है. टावर के निचले हिस्से में लगा हर पंखा प्रति सेकेंड 25 घन मीटर साफ हवा फेंक सकता है. इस हिसाब से 40 पंखे एक सेकेंड में कुल 1000 घन मीटर साफ हवा फेंकते हैं.

स्मॉग टावर की खास बातें

प्रदूषण कम करने की कोशिश है स्मॉग टावर

ये स्मॉग टावर आस-पास के एक किलोमीटर के दायरे की प्रदूषित हवा को खींचेगा और फिर उसे साफ करेगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये एक प्रयोग है जो सफल रहा तो इस तरह के कई स्मॉग टावर दिल्ली में लगाए जाएंगे. आईआईटी दिल्ली और आईआईटी बॉम्बे के लोग इस डाटा का विश्लेषण करेंगे और यह बताएंगे कि यह स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने में कितना प्रभावी है.

दिल्ली में बना देश का पहला स्मॉग टावर

क्या प्रदूषण के खिलाफ कारगर है स्मॉग टावर ?

विशेषज्ञों के मुताबिक स्मॉग टावर लगाना एक खर्चीला आइडिया है जिससे तात्कालिक समाधान तो मिलेगा लेकिन ये लंबे समय तक प्रदूषण के खिलाफ कारगर होगा, इसका कोई प्रमाण नहीं है. जानकार कहते हैं कि सरकारों को प्रदूषण के मूल कारणों से निपटने की योजना बनानी चाहिए.

विशेषज्ञों की राय है कि स्मॉग टावर कैसे और कितना प्रभावी है इसपर नजर रखने के बाद इससे जुड़े आंकड़े और जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए. इसके सफल होने के बाद ही दूसरे राज्यों या शहरों को इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए. विशेषज्ञों के एक पैनल ने अनुमान लगाया था कि दिल्ली के प्रदूषण को देखते हुए राजधानी में 200 से ज्यादा स्माॉग टावरों की जरूरत पड़ेगी, जो बहुत खर्चीला भी है और समस्या का स्थायी समाधान भी नहीं है.

स्मॉग टावर में लगे हैं ऐसे 40 पंखे

चीन ने कैसे पाया प्रदूषण पर काबू ?

आज से करीब 10 साल पहले तक चीन के ज्यादातर शहरों की हवा में प्रदूषण का स्तर तय मानकों से कई गुना अधिक था. तब बीजिंग दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होता था और चीन के कुछ और शहर भी इस सूची में होते थे. लेकिन चीन ने साल 2012-13 में प्रदूषण के खिलाफ जंग का ऐसा ऐलान किया कि आज चीन के ज्यादातर शहरों की हवा साफ हो चुकी है. लेकिन ये सिर्फ स्मॉग टावर और बड़े-बड़े एयरप्यूरिफायर लगाने से मुमकिन नहीं हुआ. चीन ने ऐसी नीतियां बनाई जिससे ये सभव हुआ.

- प्रदूषण फैलाने वाले कारखाने बंद किए या उन्हें किसी स्थान विशेष पर शिफ्ट किया गया.

- कोयले का इस्तेमाल काफी कम किया गया.

- जर्जर और धुंआ उड़ाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाया गया.

- बीजिंग और शंघाई जैसे प्रदूषित शहरों की सड़कों से कारों की संख्या कम की गई.

- शहरों में बड़े-बड़े एयर प्यूरीफायर या स्मॉग टावर लगाए गए.

- बड़े पैमाने पर पेड़ लगाए गए.

- बड़े शहरों में लो कॉर्बन पार्क बनाए गए यानि ऐसे स्थान जहां से कम कार्बन का उत्सर्जन हो.

- कई कोयला खदानें बंद की गई, कोयला आधारित नए प्लांट्स पर रोक लगाई गई.

सिर्फ स्मॉग टावर लगाने से कम होगा प्रदूषण ?

यानि 14 करोड़ का इकलौता स्मॉग टावर काफी नहीं

दिल्ली में लगा 14 करोड़ का स्मॉग टावर एक पहल या एक प्रयोग हो सकता है लेकिन चीन का उदाहरण बताता है कि सिर्फ शहरों में बड़े-बड़े एयर प्यूरिफायर या स्मॉग टावर लगाने से प्रदूषण कम नहीं होगा. क्योंकि चीन ने दिल्ली में लगे स्मॉग टावर से कई गुना ऊंचे एयर प्यूरिफायर लगवाए थे. कभी दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर रहे बीजिंग में चीन ने 330 फीट ऊंचा एयर प्यूरीफायर लगवाया था. दिल्ली में लगा स्मॉग टावर एक किलोमीटर की हवा को प्रभावित करता है, जबकि चीन ने कई किलोमीटर तक असर करने वाले एयर प्यूरीफायर लगाए थे.

सर्दियों में ऐसा होता है दिल्ली का नजारा

चीन का उदाहरण और विशेषज्ञों की राय एक ही ओर इशारा करती है कि प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए कड़े नियम और नीतियां बनानी होंगी और उनका सख्ती से पालन भी करवाना होगा. स्मॉग टावर एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सही है लेकिन लंबे वक्त के नतीजे पाने के लिए प्रदूषण के मूल कारणों पर काम करना होगा.

कई जानकार दिल्ली सरकार द्वारा चलाई गई ऑड ईवन योजना को बेहतर कदम मानते हैं. जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम हुई और प्रदूषण का स्तर कम हुा. इसी तरह कोयले जैसे ऊर्जा के स्रोत की बजाय सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने से लेकर पेड़ लगाने तक के कई ऐसे काम करने होंगे जिनसे आने वाले सालों में प्रदूषण का स्तर कम हो. इस तरह की पहल के लिए जल्द कदम उठाने होंगे क्योंकि चीन ने भले प्रदूषण का स्तर एक हद तक कम करने में कामयाबी पा ली हो लेकिन प्रदूषण के खिलाफ उसकी जंग एक दशक बाद भी जारी है.

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