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Qatar Exceeds Limits : 'ना माने कतर तो उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार करे भारत'

कतर ने गुपचुप तरीके से आठ भारतीयों को फांसी की सजा का ऐलान कर दिया है. लेकिन उनके खिलाफ क्या आरोप हैं, इसे अभी तक नहीं बताया है. सऊदी अरब के अनुसार कतर उन देशों में शामिल है, जो खुलेआम आतंकियों का समर्थन करता है. हमास की सबसे अधिक फंडिंग भी कतर ही करता है. अपने यहां फुटबॉल विश्व कप का आयोजन करवाने के लिए कतर ने गैर कानूनी तरीके अपनाए थे. इसलिए भारत को इससे निपटने के लिए सभी तरीके अपनाने पड़ सकते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कतर इस मुद्दे पर भारत की न सुने, तो उसके साथ भी कनाडा जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए. Qatar and indian navy officers, death sentence to indians in Qatar

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भारत कतर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2023, 2:35 PM IST

Updated : Oct 27, 2023, 3:49 PM IST

नई दिल्ली : आठ भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारियों को कतर में मौत की सजा सुनाए जाने की खबर ने पूरे देश को सन्न कर दिया है. सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि उन पर क्या आरोप लगे हैं, कतर ने अब तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है. वैसे, मीडिया रिपोर्ट में ये बातें जरूर आ रहीं हैं कि उन पर जासूसी करने के आरोप लगाए गए हैं. ये सभी अधिकारी पिछले एक साल से कतर की जेल में बंद हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में इस फैसले को दुखद बताया है. मंत्रालय ने कहा कि वे कानूनी जानकारों से इस पर चर्चा कर रहे हैं, जो भी कानूनी मदद उन्हें दी जा सकती है, उन्हें उपलब्ध करवाया जाएगा. सरकार ने आगे कहा कि कानूनी मदद के साथ-साथ इस मुद्दे को राजनयिक स्तर पर भी उठाया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अगस्त महीने में आठ भारतीयों को कथित तौर पर कतर खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर हिरासत में लिया गया था. ये सभी भारतीय अल दाहरा सिक्योरिटी कंपनी में काम करते थे. कंपनी सबमरीन बनाने में अपना योगदान देती थी. सबमरीन किस तरह से किसी भी रडार से बच सकती है, कंपनी इस पर काम कर रही थी.

ऐसा बताया जा रहा है कि इस सूचना को इजराइल तक पहुंचाने के आरोप में कंपनी के प्रमुख और आठ भारतीय अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था. वैसे, कतर ने औपचारिक रूप से जानकारी नहीं दी है, ये चर्चा मीडिया में चल रही है. कतर ने कंपनी को भी बंद करने के आदेश दिया है. कंपनी में काम करने वाले करीब 70 कर्मचारियों को देश से निर्वासित कर दिया गया.

यह मामला कुछ दिनों पहले भी मीडिया में उछला था. तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने पूरे मामले को संवेदनशील बताया था. मंत्रालय ने कहा था कि कतर के साथ इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है. लेकिन जिस तरीके से कतर की अदालत ने इन भारतीयों को फांसी की सजा सुना दी, उसने बड़ा झटका दिया है.

संसद में उठ चुका है यह मुद्दा - लोकसभा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस विषय को उठाया था. फांसी की सजा सुनाए जाने के फैसले पर तिवारी ने कहा कि मैंने बार-बार इस मुद्दे को संसद में उठाया था. लेकिन अब जो हालात हैं, ऐसा लगता है कि इस मुद्दे को खुद पीएम को उठाना चाहिए. शशि थरूर ने भी कहा कि पूरे मामले में सच्चाई क्या है, यह किसी को पता नहीं है. इसलिए बेहतर होगा कि सरकार तुरंत हस्तक्षेप करे और सही जानकारी वहां से प्राप्त करे.

सुब्रमण्यम स्वामी ने कसा तंजा - भाजपा से नाराज चल रहे सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि जो सरकार एक गवर्नर को नहीं बचा पा रही है, क्या हमारे आठ भारतीयों को बचा पाएगी, कहना मुश्किल है. दरअसल, स्वामी ने उस घटना का जिक्र कर मोदी सरकार पर तंज किया, जिसमें दो दिन पहले तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि के ऑफिस के बाहर पेट्रोल बम फेंका गया था. स्वामी ने कहा कि यदि इन भारतीयों को फांसी की सजा मिलती है, तो मोदी को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

समझौते के तहत दोषियों को भारत प्रत्यर्पित किया जाना जरूरी - नौसेना के पूर्व एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि भारत और कतर के साथ 2015 में एक समझौता हुआ था. इसके मुताबिक सजा पाने वाले भारतीयों को भारत सौंपा जाना चाहिए. समझौते के मुताबिक सजा पाने के बाद सजा काटने के लिए उन्हें प्रत्यर्पित किया जाएगा, इस बात पर समझौता हुआ था. इसी तरह से भारत में अगर किसी कतर के नागरिकों को सजा मिलती है, तो उसे सजा काटने के लिए कतर को सौंपा जाएगा.

सोशल मीडिया पर क्या रही है प्रतिक्रिया.

इजराइल का साथ देना पड़ रहा महंगा - विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जिस तरह से भारत ने इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच अपना स्टैंड साफ किया है और वह इजराइल के साथ जिस मजबूती से खड़ा है, शायद इस स्टैंड से कतर नाराज है. इसलिए हो सकता है कि एक मैसेज देने के लिए कतर की यह चाल हो.

हमास की फंडिंग करता है कतर - वैसे भी कतर खुलकर हमास का साथ दे रहा है. उसके नेता कतर में रहते हैं. इजराइल के बंदियों की रिहाई में भी वह मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है. हमास को सबसे अधिक पैसा देने वालों में कतर का नाम आता है.

आतंकी संगठनों को पनाह देता रहा है कतर - सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले लेखक सुहैल सेठ ने कहा कि कतर उन देशों में शामिल है, जो अपना काम करवाने के लिए अवांछित तरीके अपनाता रहता है. जैसे उसने फुटबॉल विश्व कप के आयोजन करवाने के लिए रिश्वत की पेशकश की थी. वह खुलकर आतंकी संगठन का साथ देता है. हमास तो इसका ताजा उदाहरण है. अल जजीरा कतर का आधिकारिक टीवी चैनल है और इसके जरिए वह अपना प्रोपेगैंडा भी चलाता है. कतर में अमेरिका का एक नौ सैनिक अड्डा भी है. उसका अमेरिका और ईरान दोनों ही देशों से अच्छ संबंध हैं.

2017 में सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और इजिप्ट ने कतर से अपने संबंध तोड़ लिए थे. यहां तक कि कतर के विमानों की उड़ान पर भी रोक लगा दी थी. सऊदी अरब ने कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. आरोप मुस्लिम ब्रदरहुड और आईएस को समर्थन देने का था.

नुपुर शर्मा के बयान पर भी बिदका था कतर - यहां आपको बता दें कि कतर वही देश है, जिसने भाजपा नेता नुपुर शर्मा के बयान पर जबरदस्त नाराजगी दिखाई थी. यहां तक कि विदेश मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था.

भारत के लिए क्यों खास है कतर - इस समय कतर में भारत के आठ लाख लोग रहते हैं. कतर के श्रम बाजार में भारतीयों का दबदबा है. यहां का सबसे बड़ा ऑयल फील्ड है - दुखन ऑनशोर ऑयल फील्ड. यह 80 किलोमीटर में फैला हुआ है. भारत कतर से तेल-गैस और मोती का आयात करता है. भारत की सरकारी कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लि. कतर की रासगैस से एलएनजी मंगाती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एनएलजी की जो कीमत है, उससे कम दाम पर कतर सप्लाई करता है. भारत अपनी जरूरत का 40 फीसदी एलएनजी कतर से आयात करता है.

क्या कर सकता है भारत

  • कतर की ऊपरी अदालत में अपील
  • अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपील
  • खाड़ी देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं, लिहाजा राजनयिक स्तर पर इस समस्या का समाधान सबसे सटीक हो सकता है.
  • कतर में रह रहे भारतीयों का दबाव
  • खाने-पीने की चीजों का भारत से आयात करता है कतर. व्यापारिक दबाव बनाया जा सकता है.
  • न माने को कनाडा की तरह कार्रवाई करे भारत

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Last Updated : Oct 27, 2023, 3:49 PM IST

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