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हिमालय के 'सफेद तेल' पर चीन की नजर, एवरेस्ट पर बनाया दुनिया का सबसे उंचा मौसम विज्ञान केंद्र

चार मई को चीन ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के ठीक नीचे 8800 मीटर पर दुनिया का सबसे ऊंचा मौसम विज्ञान स्टेशन सफलतापूर्वक स्थापित किया. चीन के इस कदम से यह सवाल उठता है कि इस क्षेत्र में मौजूद लिथियम का खजाना, चीन को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहा है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

एवरेस्ट
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Published : May 7, 2022, 6:44 PM IST

नई दिल्ली: चीन ने भी माउंट एवरेस्ट पर अपना एक मौसम केंद्र स्थापित किया है. ये दुनिया का सबसे ऊंचा मौसम केंद्र है. ये मौसम केंद्र समुद्र जलस्तर से 8830 मीटर की ऊंचाई पर है. वैज्ञानिकों की टीम ने सफलतापूर्वक इस स्वचालित स्टेशन का परीक्षण किया. माना जा रहा है कि हिमालय में मौजूद लीथियम की प्रचुर मात्रा चीन को आकर्षित कर रहा है. लीथियम यानी सफेद तेल जिसका उपयोग मोबाइल बैटरी से लेकर इलेक्ट्रिक वेहीकल बैटरी तक में किया जाता है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया 'ईवी क्रांति' के मुहाने पर खड़ी है और चीन पूरे विश्व का लगभग दो तिहाई लीथियम-ऑयन बैटरी का उत्पादन करता है.

सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला ये स्टेशन खराब मौसम में भी दो साल तक काम कर सकता है. इसके साथ ही आंकड़ों के संचारण के लिए ये सैटेलाइट संचार तंत्र से लैस है. इस स्टेशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये हर 12 मिनट में एक कोड संदेश का प्रसारण भी कर सकता है. चीनी एजेंसी सिन्हुआ की मानें तो इस नए स्टेशन ने अमेरिकी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है.

चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) के तहत तिब्बती पठार अनुसंधान (आईटीपी) के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ चीनी अभियान दल की 13 सदस्यीय टीम ने उत्तरी भाग के ठीक नीचे लगभग 50 किलो उपकरण वजन का एक स्टेशन स्थापित किया है. इससे चीन ने माउंट एवरेस्ट के दक्षिणी हिस्से पर अमेरिकी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम द्वारा 2019 में स्थापित एक स्टेशन से दुनिया की सबसे ऊंचे स्टेशन का रिकॉर्ड छीन लिया है, जिसे 8,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया था.

नवीनतम स्टेशन अर्थ समिट मिशन 2022 नामक एक परियोजना के तहत इस तरह के आठ स्टेशन बनने हैं. जिसे चीन द्वारा चोटी के उत्तरी हिस्से में स्थापित किया गया है. चीनी राज्य नियंत्रित मीडिया ने आईटीपी शोधकर्ता झाओ हुआबियाओ के हवाले से कहा कि ऊंचाई वाले मौसम का अध्ययन करने के अलावा, स्टेशन ग्लेशियरों के पिघलने की घटनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे और बर्फ की मोटाई को मापने के अलावा जमीन के अंदर भी बर्फ की स्थिति का आकलन करेंगे. इस साल की शुरुआत में तीन स्टेशन 7028 मीटर, 7790 मीटर और 8300 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किए गए. 2021 में चार स्टेशन 6500 मीटर, 5800 मीटर, 5400 मीटर और 5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किए थे.

कितना लीथियम मौजूद: माना जा रहा है कि माउंट एवरेस्ट क्षेत्र में लीथियम की प्रमुख खोज की पृष्ठभूमि में यह डेवलपमेंट महत्वपूर्ण है. चीनी जर्नल ऑफ साइंस के अनुसार अनुमान है कि यहां लगभग 1012500 टन तक लीथियम हो सकता है. लैपटॉप और सेल फोन की बैटरी के अलावा लिथियम इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी बनाने में मुख्य सामग्री है. लीथियम की कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया ईवी क्रांति के कगार पर है. इस खोज का पहला विवरण नवंबर 2021 में सीएएस समर्थित पत्रिका रॉक में प्रकाशित हुआ था. फरवरी 2022 में इसे फिर से सीएएस के तहत भूविज्ञान और भूभौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा रिपोर्ट किया गया.

वहीं ऑस्ट्रेलेशिया मिनरल लेबोरेटरी और वुहान अपर स्पेक्ट्रा एनालिसिस टेक्नोलॉजी लिमिटेड द्वारा किए गए सेंट्रल एकेडमी के जियोलॉजिकल अर्थ इंस्टीट्यूट लेबोरेटरी में दोहराए गए परीक्षणों ने भी माउंट एवरेस्ट के उत्तर में तिब्बती क्षेत्र से खनन किए गए 59 रॉक नमूनों के अध्ययन के बाद प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि की है. चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) द्वारा 44 नमूनों में भी यह पाया गया कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी में बहुत ही समृद्ध लीथियम की उपस्थिति है.

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लीथियम यानी सफेद तेल:इसे सफेद तेल के रूप में भी जाना जाता है. दुर्लभ पृथ्वी की खोज 5390 मीटर से 5581 मीटर तक के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 40 से अधिक लीथियम क्वार्ट्ज क्रिस्टल बेल्ट हैं. जबकि चीन अपनी लिथियम आवश्यकता के लगभग 75 प्रतिशत के लिए आयात पर निर्भर है. जबकि वह दुनिया के लगभग दो-तिहाई लिथियम-आयन बैटरी का उत्पादन करता है. यह माना जाता है कि चीन इस दुर्लभ पृथ्वी संसाधन को भू-राजनीतिक प्रभुत्व के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और लाभ उठाने की फिराक में है. वह इसके वाणिज्यिक मूल्य के बजाय पश्चिम के खिलाफ उपयोग कर सकता है.

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