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Canada rally : क्या कनाडा में पीएम ट्रूडो के समर्थन में आयोजित हो रही रैली के पीछे ISI है?

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच, संकटग्रस्त कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के समर्थन में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक रैली आयोजित की जा रही है. रैली का नेतृत्व ऐसा व्यक्ति कर रहा है जो पाकिस्तान की आईएसआई का करीबी माना जाता है. आईएसआई विदेशों में अपने मॉड्यूल को फिर से सक्रिय कर रही है और अगले साल भारत में आम चुनाव से पहले खालिस्तानी मुद्दे को बढ़ावा दे रही है. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट.

PM Trudeau
पीएम ट्रूडो

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 5:53 PM IST

नई दिल्ली:कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बीच लोगों का एक समूह संकटग्रस्त कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Trudeau) के समर्थन में एक रैली का आयोजन कर रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में होने वाली रैली का नेतृत्व राहत राव (Rahat Rao) कर रहे हैं, जिन्हें पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का करीबी माना जाता है.

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत में अगले साल होने वाले आम चुनावों को लेकर आईएसआई नई दिल्ली पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने के लिए विदेशों में अपने सभी मॉड्यूल और नोड्स को फिर से सक्रिय कर रही है. सरे में यह रैली ट्रूडो द्वारा भारत के साथ उस कूटनीतिक विवाद के मद्देनजर हुई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जून में सरे में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में निज्जर की हत्या में नई दिल्ली का हाथ था.

भू-राजनीति और सुरक्षा मामलों के थिंक टैंक, उसानास फाउंडेशन (Usanas Foundation) के संस्थापक और सीईओ अभिनव पांडे ने ईटीवी भारत को बताया, 'K2K (कश्मीर से खालिस्तान) प्रोजेक्ट भारत को विघटित करने के ISI के व्यापक एजेंडे का एक प्रमुख हिस्सा है. इसके हिस्से के रूप में, आईएसआई ने कनाडा में बहुत सारे प्रॉक्सी तैयार किए हैं. वे खालिस्तान और कश्मीर मुद्दे को एकीकृत करना चाहते हैं.'

पांडे ने कहा कि कनाडा में पाकिस्तान पहले से ही वहां की सरकारी मशीनरी में घुस चुका है और गहरी जड़ें जमा चुका है. इस संबंध में, उन्होंने बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच के मामले का जिक्र किया, जो 2020 में कनाडा में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई थीं.

वह बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकारों के हनन पर असंतोष की मजबूत आवाज के लिए जानी जाती थीं. बलूच को आखिरी बार 20 दिसंबर, 2020 को जीवित देखा गया था. 22 दिसंबर, 2020 को उनका शव टोरंटो वाटरफ्रंट में पाया गया था. टोरंटो पुलिस सेवा ने शुरू में बताया कि उनका शव ओन्टारियो झील के पास पाया गया था, हालांकि अधिक विवरण नहीं दिया गया था. इस बात की प्रबल आशंका है कि उनकी मौत में आईएसआई का हाथ था.

उनकी हत्या की जांच की मांग को लेकर बलूचिस्तान और कनाडा में प्रदर्शन भी हुए थे. कनाडा में जातीय बलूच, पश्तून और सिंधी अल्पसंख्यक समूहों ने इस संबंध में एक संयुक्त बयान जारी किया. कनाडाई पुलिस ने बलूच की मौत के आसपास की चिंताओं को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि उन्हें बेईमानी का कोई सबूत नहीं मिला, और निष्कर्ष निकाला कि उनकी मौत 'गैर-आपराधिक' थी. लेकिन इसमें आईएसआई का हाथ होने का संदेह बरकरार है.

पांडे ने इस बात की ओर इशारा किया कि प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) खालिस्तानी समूह के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू आईएसआई के करीबी हैं. उन्होंने कहा कि 'भारत में चुनाव से पहले पाकिस्तान सक्रिय रूप से खालिस्तानी अलगाववादियों के लिए फंड का इंतजाम कर रहा है. उन्होंने भारत में ख़त्म हो चुके खालिस्तान मुद्दे को पुनर्जीवित करने के लिए जम्मू क्षेत्र में सीमा पार से घुसपैठ फिर से शुरू कर दी है और पंजाब में ड्रोन के माध्यम से हथियार गिराए हैं.'

पांडे के अनुसार, यह तथ्य कि सरे में रैली के पीछे आईएसआई का हाथ देखा जा रहा है, कोई आश्चर्य की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि 'चुनाव से पहले भारत पर अंतरराष्ट्रीय राजनयिक और नागरिक समाज का दबाव बढ़ाने के लिए वे हर तरह के हथकंडे अपनाएंगे. वे भारत में उग्रवाद और आतंकवादी गतिविधियों को तेज कर रहे हैं. वे भारत में सांप्रदायिक भावनाएं और दंगे भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. वे मणिपुर की स्थिति सहित भारत में सभी फॉल्ट लाइन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं.'

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