कोलकाता :एक ओर जहां 2 मई, 2021 को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों का फासला आएगा, वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की संस्कृति से जुड़े लोगों का एक वर्ग महान फिल्मकार सत्यजीत रे की 100वीं जयंती मनाएगा. कुछ लोग इसे सिर्फ एक संयोग कह सकते हैं, लेकिन संस्कृति से जुड़े लोगों का मानना है कि चुनाव का यह पूरा दृश्य, जिसमें लोग उत्साह से वोट डालने जाएंगे, मतदान की गिनती होना, प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता सत्यजीत रे द्वारा बनाई गई एक पौराणिक फिल्म की यादें ताजा कर रहा है.
यह पौराणिक फिल्म 'हीरक राजार देशे' है, जो एक तानाशाह के उत्थान और पतन की कहानी है, जो लोगों को दबाकर रखना चाहता था और उन पर शासन करना चाहता था. कहानी में अपने शासक के खिलाफ आवाज उठाना एक अपराध माना जाता था और शासक का उद्देश्य विरोधी आवाजों को किसी भी हाल में चुप कराना था.
अब यही बंगाल चुनाव में हो रहा है. राज्य में विपक्षी दल अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि ममता बनर्जी के शासन में आवाजों को दबाया जाता है. विपक्षी दलों के लिए ममता बनर्जी एक पूरी तरह से निरंकुश शासक के रूप में हैं, जो छोटे से छोटे विरोध को दबा देती हैं. यदि विपक्षी आरोप सच हैं, तो बंगाल के लोग रे की फिल्म को हकीकत में होता आसानी से देख सकते हैं.
इसी तरह, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और उनके शीर्ष नेताओं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर अत्याचार के रास्ते पर चलने का आरोप लगाती है. तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के शासन में बोलने या मुस्कुराने या प्यार करने की आजादी नहीं है. तृणमूल ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी-शाह की जोड़ी का एकमात्र उद्देश्य देश की संपत्ति उनके विश्वासनीय उद्योगपतियों को सौंपना है. अब अगर तृणमूल कांग्रेस के आरोप सच हैं, तो रे की फिल्म में तानाशाह राजा की छाया मोदी और शाह पर पड़ रही है.