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Bermuda Triangle: क्या अरुणाचल प्रदेश है एक नया बरमूडा ट्रायंगल? IAF के पूर्व ग्रुप कैप्टन ने बताई वजह

भारतीय वायुसेना के एक पूर्व ग्रुप कैप्टन ने आरुणाचल प्रदेश के इलाके को एक नया बरमूडा ट्रायंगल करार किया है. उनका कहना है कि यहां के ऊंचे पहाड़ और गहरी घाटियां बरमूडा ट्रायंगल की तरह काम करते हैं.

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Published : Mar 20, 2023, 3:59 PM IST

Arunachal Pradesh
अरुणाचल प्रदेश

तेजपुर (असम): भारतीय वायुसेना के पूर्व ग्रुप कैप्टन मोहंतो पांगिन ने अरुणाचल प्रदेश के इलाके को नया बरमूडा ट्रायंगल बताया है. वायु सेना के पूर्व दिग्गज और सेवानिवृत्त पायलट, ग्रुप कैप्टन पैंगिंग ने ईटीवी भारत के साथ टेलीफोन पर बात करते हुए, अरुणाचल प्रदेश की ऊंचाई वाले पहाड़ों और गहरी घाटियों को एक और बरमूडा ट्रायंगल के रूप में वर्णित किया. इस क्षेत्र में, 16 मार्च, 2023 तक पिछले दो दशकों में अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कुल 14 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें लगभग 50 लोग मारे गए हैं.

पैंगिन एक फाइटर पायलट और इंडियन एयरफोर्स के पूर्व ग्रुप कैप्टन है, जिन्होंने रूस से भारत के लिए SU-30MKI के पहले बैच को उड़ाया था. वह 3,500 घंटे की उड़ान के अनुभव के साथ उत्तर पूर्व क्षेत्र में SU-30MKI के एकमात्र कमांडर थे. भारतीय सेना और नागरिक उड्डयन हेलीकाप्टरों सहित अरुणाचल प्रदेश में कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जहां कई लोगों की जान चली गई है.

1997 में, तवांग से लगभग 40 किमी दूर एक चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटना में पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री एनवीएन सुम और तीन अन्य की मौत हो गई थी. उसके बाद 2001 में अरुणाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री डेरा नटुंग और पांच अन्य लोग पश्चिम कामेंग जिले के सेसा के पास पवन हंस हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे. 2009 में, मेचुका में वायु सेना के मालवाहक जहाज एएन 32 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 13 लोग मारे गए थे. 19 अप्रैल, 2011 को एक एमआई-17 यात्री हेलीकॉप्टर गुवाहाटी से तवांग पहुंचने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 23 यात्रियों में से 17 की मौत हो गई.

इसी महीने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के साथ पायलट सहित चार लोगों की मौत तवांग में हंस हेलीकॉप्टर AS350 B-3 के दुर्घटनाग्रस्त होने से हुई थी. पैंगिन ने कहा कि बार-बार बदल रहे प्रतिकूल मौसम की वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं और इन इलाकों में हेलीकॉप्टर या लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए अनुभवी पायलटों की जरूरत है. उन्होंने इसे बेहद संवेदनशील बताया. उन्होंने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त हुआ भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर बहुत पुराना था और इसकी समीक्षा की जानी चाहिए, लेकिन इसकी एक अच्छी गुणवत्ता है कि यह ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है, जो एमआई-17 हेलीकॉप्टर या अन्य हेलीकॉप्टरों के साथ संभव नहीं है.

इसलिए, किसी भी परिस्थिति में घने कोहरे में प्रवेश करना है या नहीं, यह तय करना पायलट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. पैंगिंग, जो पहले वायु सेना के स्टेशन तेजपुर बेस में मुख्य परिचालन अधिकारी थे, उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में मौसम से किसी भी तरह से निपटा नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विमान दुर्घटनाओं के बारे में जानने के लिए ब्लैक बॉक्स एकत्र किए जाते हैं और यह आवश्यक है कि सैन्य और निजी दोनों हेलीकाप्टरों में इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर (ईएलटी) की सुविधा हो, लेकिन उनकी दक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि सेना की ओर से जारी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में घटना का खुलासा हुआ है, लेकिन दुर्घटना के बाद ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए सबक सीखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर सेवा एजेंसी उड्डयन विभाग को जांच के बाद मामले पर गहनता से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 2010 के बाद से हर साल अरुणाचल प्रदेश में कोई विमान या हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और यह सतर्कता की कमी, तुरंत बदलते मौसम की स्थिति के कारण होता है और एक पायलट को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उसे उस स्थिति के लिए तैयार रहना पड़ता है.

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