मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया है कि कथित अवैध फोन टैपिंग, पुलिस तबादलों और पोस्टिंग से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों के लीक होने के मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का नाम आरोपी के तौर पर नहीं लिया गया है. इसलिए वह प्राथमिकी रद्द करने की मांग नहीं कर सकती.
शनिवार को दायर एक हलफनामे में, सरकार ने कहा कि जांच केवल इस बात से संबंधित है कि कैसे संवेदनशील और गोपनीय जानकारी राज्य के खुफिया विभाग (एसआईडी) से तीसरे पक्ष को अनधिकृत रूप से लीक की गई थी और इसका उक्त दस्तावेजों की सामग्री से कोई लेना-देना नहीं है.
इसमें आगे दावा किया कि अपराध किसी भी तरह से राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे अपराधों से जुड़े नहीं हैं.
हलफनामा रश्मि शुक्ला द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में प्रस्तुत किया गया था, जिसमें प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और उन्हें पुलिस तबादलों और पोस्टिंग में कथित भ्रष्टाचार पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा लक्षित किया जा रहा है.
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा में उपायुक्त रश्मि कारंदिकर की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस ने ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और ऐसे में याचिकाकर्ता द्वारा प्राथमिकी रद्द करने के लिए याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं बनता.
हलफनामे में कहा गया, याचिका सुनवाई करने योग्य नहीं है और इसलिए आधार नहीं होने की वजह से इसे खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि उनका (शुक्ला) नाम प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं है.
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