गाजीपुर : कोरोना काल में गंगा नदी में लावारिस लाशों के मिलने का सिलसिला लगातार जारी है. जिससे जिला प्रशासन समेत लोगों में हड़कम्प की स्थिति है. इस मामले को लेकर ईटीवी भारत टीम ने पड़ताल की. पड़ताल में जो खुलासा हुआ वह बेहद चौंकाने और डराने वाला है. स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासन की बेपरवाही की सजा स्थानीय लोगों को भुगतनी पड़ रही है.
गाजीपुर के विभिन्न इलाकों में श्मशान घाट तो हैं, लेकिन वहां समुचित व्यवस्था नहीं है. जिससे लोग लाशों को जलाने की बजाय उसे प्रवाह कर रहे है. जो कोरोना काल मे बेहद खतरनाक है और प्रशासनिक इंतजामों की पोल खोलता है.
बारा गांव के पास मिली लाशें
दरअसल, बिहार बॉर्डर से सटे गाजीपुर के बारा इलाके में गंगा नदी में करीब 40-50 की संख्या में शव उतराते मिले थे. जिसके बाद हर तरफ हड़कंप मच गया. सूचना के बाद प्रशासनिक अमला मौके पर पहुंचा और जांच पड़ताल की. मामले की जांच के लिए गाजीपुर प्रशासन ने दो टीमों का गठन कर जांच के निर्देश दिए हैं, इन सबके बीच ये सवाल बड़ा है कि आखिर ये शव कहां से आए.
पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा
ईटीवी भारत की टीम इस मामले में पड़ताल के लिए बारा गांव पहुंची. इस दौरान जो तथ्य निकलकर सामने आए, उन्होंने न केवल प्रशासनिक इंतजामों की पोल खोलकर रख दी बल्कि कोरोना काल में खतरा भी बढ़ा दिया है. बारा गांव निवासी मनोज यादव ने बताया कि गंगा नदी में मिली लाशों के पीछे सबसे बड़ी वजह प्रशासनिक लापरवाही है.
क्योंकि घाटों पर लाशों को जलाने की अनुमति दे दी गई है लेकिन वहां कोई व्यवस्था नहीं है. वहां पर न ही लकड़ी की व्यवस्था है और न ही किसी अन्य तरह की सुविधा उपलब्ध है. जिससे लोग मजबूरन परंपरा के नाम शवों को गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं. लोगों की मानें तो लोग शवों को लेकर घाट तक तो आ जाते है, लेकिन यहां लकड़ी न होने के चलते लोग प्रवाह कर चले जाते है.