सवाल: भाजपा हाईकमान ने एक साल पहले आपको हिमाचल में पार्टी का नया मुखिया चुना था. आप शिमला संसदीय सीट से सांसद हैं और साथ ही संगठन का दायित्व भी संभाल रहे हैं. प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव भी दस्तक देने वाले हैं. आपके सामने 'मिशन रिपीट' की चुनौती है. महज पंद्रह साल के राजनीतिक जीवन में ऐसी जिम्मेदारियों और चुनौतियों को आप कैसे देखते हैं और आगे के लिए आपकी क्या तैयारियां हैं ?
जवाब: जहां तक राजनैतिक करियर की बात है, मैंने 2005 में पंचायत समिति सदस्य के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत की. बीजेपी ने पहली बार मुझे प्रत्याशी बनाया था. लेकिन मैं चुनाव हार गया, दोबारा 2012 में पार्टी में मुझे चुनाव में उतारा और इस बार मैं जीत कर विधायक बना. साल 2017 में दोबारा विधायक बना. जिसके बाद साल 2019 में पार्टी ने शिमला लोकसभा संसदीय क्षेत्र से मुझे प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में जीत हासिल हुई और जनता ने मुझे अपना सांसद चुना. 2020 में पार्टी ने मुझे प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नया दायित्व दिया. संगठन का काम करने के दौरान सबसे पहले मुझे अनुसूचित जाति मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाया गया इसके बाद मोर्चा का महामंत्री और मंडल महामंत्री का दायित्व मिला. और अब पार्टी ने मुझ पर भरोसा करते हुए मुखिया की जिम्मेदारी दी है और मुझे पूरा यकीन है कि 40 साल में जो नहीं हुआ वो अब होगा और बीजेपी मिशन रिपीट का लक्ष्य पूरा करेगी.
सवाल: केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है. पार्टी के राष्ट्रीय मुखिया जेपी नड्डा भी हिमाचल से हैं और केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुराग ठाकुर के रूप में एक बड़ा नाम भी है. तो क्या प्रदेश में संगठन को चलाने के लिए ये फैक्टर आपको आत्म विश्वास देते हैं ? आपको क्या लगता है कि हिमाचल के होने वाले विधानसभा चुनाव में यह फैक्टर पार्टी को किस तरह से मदद करेंगे ? अगर हां, तो किस तरह से ?
जवाब: पीएम मोदी हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते हैं. इसी प्रकार से हमारा सौभाग्य है कि जेपी नड्डा हिमाचल के बेटे हैं और दुनिया के सबसे बड़े दल के मुखिया हैं. ये हिमाचल के लिए बहुत बड़ी बात है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का प्रदेश को बड़ा सहयोग मिला है. इन बड़े नेताओं का निश्चित तौर पर छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल को आशीर्वाद मिल रहा है. केंद्र के शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में बीजेपी हिमाचल में आगे बढ़ती रहेगी.
सवाल: राजनीतिक जीवन के नजरिए से देखें तो आपको अचानक ही बड़े दायित्व मिले हैं. सरकार व संगठन में कई प्रभावशाली नेता हैं जो उम्र व अनुभव में आपसे बड़े हैं. आप इन परिस्थितियों में तालमेल कैसे बैठाते हैं ? जहां तक पद का सवाल है तो आप पार्टी के प्रदेश में सर्वेसर्वा हैं. आपको बड़े नेताओं से किस तरह का सहयोग मिल रहा है ?
जवाब: देखिए, मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि हिमाचल में शीर्ष नेताओं की लंबी फेहरिस्त है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल जैसे वरिष्ठ लोग शामिल हैं. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मुझे इनका आशीर्वाद मिल रहा है. जब भी किसी तरह की दुविधा होती है तो इनके सहयोग और मार्गदर्शन से काम करने की कोशिश की जाती है. एक साल के कार्यकाल में मुझे किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा.
सवाल: संगठन के तौर पर भाजपा हमेशा सक्रिय रहती है. मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के मुकाबले भाजपा की सक्रियता हाल के वर्षों में काफी अधिक रही है. इसके बावजूद आप नगर निगम चुनाव में सोलन व पालमपुर में सफलता हासिल नहीं कर पाए. कांग्रेस में अध्यक्ष पद संभाल रहे कुलदीप राठौर भी उस पद पर पहली व नई पारी खेल रहे हैं. ऐसे में आप कांग्रेस से किस तरह की चुनौती मिलते हुए देख रहे हैं ?
जवाब: देखिए, प्रदेश में चुनाव दर चुनाव बीजेपी को बढ़त मिली है, चाहे बात 2014 के लोकसभा चुनाव की हो या 2017 के विधानसभा चुनाव की. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में तो पार्टी ने इतिहास ही रच दिया. प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली. इसमें दो विधानसभा क्षेत्र रोहड़ू और रामपुर ऐसे थे, जहां हमने पहली बार लीड हासिल की. स्थानीय निकाय में बीजेपी ने ज्यादातर सीटें जीतीं. जहां तक कांग्रेस की बात है. उनका कुनबा पूरी तरह से बिखरा हुआ है. अगर, नगर निगम पालमपुर में हार की बात की जाए तो वहां पर भी बीजेपी का मत प्रतिशत कांग्रेस से ज्यादा रहा है.
सवाल: हिमाचल में करीब चार दशक से कोई भी राजनीतिक दल सत्ता रिपीट नहीं कर पाया है. आपके पास भाजपा सरकार के रिपीट करने के लिए कौन सा जादुई फार्मूला है ? आखिर 'मिशन रिपीट' के नारे को कैसे धरातल पर उतारेंगे आप ?