भोपाल : यूपीएससी के सिविल सर्विस एग्जाम में वे बच्चे भी चयनित हुए हैं जो छोटे-छोटे परिवारों से निकलकर इस मुकाम पर पहुंचे हैं. किसी के पिता टीचर हैं तो किसी के सिर से पिता का साया बचपन में ही छिन गया था. ऐसे में इन बच्चों ने आगे बढ़कर यह मुकाम हासिल किया है. आइए जानते हैं MP के होनहारों की सफलता की कहानी
सीएम शिवराज ने दी MP के होनहारों को बधाई
चयनित आईएएस अरविंद ने बताया, लक्ष्य बड़ा था, इसलिए मुश्किलें छोटी हो गईं. UPSC में चयनित विद्यार्थियों के साथ सीएम शिवराज सिंह ने संवाद किया. उन्हें बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं दीं. संवाद कार्यक्रम में एक बात जो सभी को प्रेरित करती है, वो ये है कि कई अभ्यर्थी बिल्कुल मध्यम वर्गीय परिवारों से आते हैं. अभावों के बीच कैसे इन्होंने IAS Exam को क्रेक किया, किन चुनौतियों का इन्होंने सामना किया. ईटीवी भारत ने इनमें से कुछ चयनित अभ्यर्थियों से बात की.
पैसों की दिक्कत थी, लेकिन हार नहीं मानी
ऑल ओवर इंडिया में 123वीं रैंक हासिल करने वाले सिंगरौली के अरविंद कुमार शाह एक मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता शिक्षक हैं और माता गृहिणी. अरविंद कहते हैं कि उनके जिले से वह दूसरे व्यक्ति हैं जो सिविल सर्विस परीक्षा में सफल हुए हैं. अरविंद ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक स्तर पर आई. कई बार तो पैसा नहीं होने के चलते सोचना पड़ता था कि आगे क्या किया जाए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इस मुकाम को छू लिया.
दामिनी ने बताया कि कुछ अलग करने की चाहत थी, मेहनत और लगन से मिली सफलता. दामिनी ने जो सोचा, वो करके दिखाया
सागर की रहने वाली दामिनी दिवाकर के सिर से पिता का साया बचपन में ही छिन गया था. दामिनी जब 3 साल की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया था. उनकी मां ने ही उनकी परवरिश की है. दामिनी की ऑल ओवर इंडिया में 594 वीं रैंक है. मां शिक्षिका हैं. दामिनी कहती हैं कि उन्होंने बचपन से ही सोच कर रखा था कि कुछ अलग करना है. कॉलेज में ही उन्होंने आईएएस बनने की ठान ली थी. परेशानियां बहुत आईं, लेकिन मां ने हर बार उनका साथ साथ दिया.
हर समस्या का समाधान निकल सकता है
जागृति का मानना है कि सिविल सर्विस धन कमाने का जरिया नहीं, देश के लिए कुछ करने की जिम्मेदारी है. ऑल ओवर इंडिया में 2nd रैंक हासिल करने वाली भोपाल की जागृति अवस्थी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बातों से काफी प्रभावित हुईं. जागृति का कहना था कि वह भी उस तरह का अधिकारी बनना चाहती हैं जो सिर्फ काम पर ही ध्यान दे. रास्ते निकाल कर काम करे. जागृति का भी मानना है कि सिविल सर्विसेज धन कमाने के लिए नहीं है.