जयपुर : प्रदेश की गहलोत सरकार इंटरनेट बंदी को लेकर चौतरफा घिर गई है. पिछले 10 वर्षों में 78 बार इंटरनेट बंद होने से जनता के साथ व्यापार जगत में तो नाराजगी है ही, लेकिन महीने में चार बार इंटरनेट बंदी से गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर भी आ गई है.
बीजेपी ने इंटरनेट को मुद्दा बनाते हुए हमला तेज कर दिया है. प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेता प्रदेश की सरकार को फेल्योर करार दे रही है.
एक महीने में चार बार इंटरनेट बंदी के फैसले के बाद राजस्थान जम्मू कश्मीर के बाद देश में दूसरा ऐसा राज्य बन गया, जिसने सबसे ज्यादा इंटरनेट बंदी की है. कश्मीर में इस मुद्दे पर कोहराम मचाने वाली कांग्रेस खुद के राज्य में हर बार परीक्षा के दौरान ऐसा कर रही है. त्योहारी सीजन में सरकार के इस अव्यवारिक फैसले के करीब 800 करोड़ का कारोबार ठप किया है.
किसने क्या कहा -
पिछले दिनों बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने राजस्थान सरकार पर इंटरनेट को लेकर हमला बोलते हुए दावा किया है कि पिछले 10 सालों में राजस्थान में 78 बार इंटरनेट रोका गया है. यह जम्मू-कश्मीर के बाद दूसरे नंबर पर है. बीजेपी ने सोशल मीडिया के जरिए नेटबंदी पर अभियान चला रखा है. सांसद दीया कुमारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में एग्जाम टाइम पर नेटबंद कर देना सही नहीं है. यह एग्जाम नेशनल सिक्योरिटी पार्ट नहीं है. बीजेपी नेता अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस जो एक एग्जाम भी नहीं संभाल पाई वो 100 करोड़ वैक्सीनेशन को जुमला बता रही है.
कब होता है इंटरनेट बंदी
पिछले एक महीने में 3 बड़ी परीक्षा 26 सितम्बर को रीट 2021, 23-24 अक्टूबर को पटवारी और 27 अक्टूबर को RAS की परीक्षा हुई. इन तीन परीक्षाओं में 4 बार नेट बंद कर दिया गया. इंटरनेट बंद होने से चार महीने मे राजस्थान को आम जनता तो परेशान हुई इसके साथ 800 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है.
राजस्थान में कब-कब हुई नेटबंदी
प्रदेश की गहलोत सरकार ने पिछले दिनों जनहित याचिका में इस बात का हलफनामा दिया था कि प्रदेश के नेशनल सिक्योरिटी की स्थिति के बगैर नेट बंद नहीं होगी. साल 2017 के आदेश के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की सुरक्षा के मामलों में इंटरनेट सस्पेंड किया जा सकता है. प्रतियोगी परीक्षाएं इन दोनों मामलों से नहीं जुड़ी है. लेकिन पिछले एक महीने में ही अलग-अलग परीक्षा में नकल रोकने के लिए नेट बंद किया गया. इसके आलावा प्रदेश में बीते सालों में सीकर में सर्वाधिक 16 बार, राजधानी जयपुर में 14 बार, उदयपुर में 13 बार, भरतपुर में 9 बार, करौली और बीकानेर में 8-8 बार, चित्तौड़गढ़, टोंक, राजसमंद, सवाई माधोपुर और श्रीगंगानगर में 7-7 बार और प्रदेश के बाकी जिलों में छह या इससे कम बार इंटरनेट बंदी हुई है.
किस राज्य में कब-कब इंटरनेट बंद हुआ
इंटरनेट बंद करने के मामले में जम्मू-कश्मीर देश का पहला राज्य है. 10 साल में जहां सबसे ज्यादा 315 बार इंटरनेट बंद हुई. लेकिन वहां की स्थिति राजस्थान से उलट है. वहां हर बार आतंकी गतिविधियों को देखते हुए और सुरक्षा के लिहाज ये फैसला लिया गया. यूपी में 10 साल के दौरान सिर्फ 29 बार, हरियाणा में 17, पश्चिम बंगाल में 13, गुजरात में 10, बिहार और महाराष्ट्र में 11, मध्य प्रदेश और मेघालय में 8, अरुणाचल और मणिपुर में 6-6 बार नेट बंद किया गया है. ओडिशा, पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, असम, नागालैंड, चंडीगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड में एक से तीन दिन इंटरनेट बंद रखा गया है.
इंटरनेट बंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद एहतियात के तौर पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए 10 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आज के दौर इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल हो गया है. ऐसे में बेवजह इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता है. नेट बंद होने के कारण करीब 30 तरह की सेवाएं बाधित होती हैं. इनमें डेबिट, क्रेडिट कार्ड भुगतान सिस्टम, ई वॉलेट ट्रांजेक्शन, मूवी टिकट बुकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग समेत अन्य कई सेवाएं शामिल हैं.