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International Women's Day: MP के छोटे से गांव से निकली बेटी पहुंची गवर्नर हाउस, जानें अनुसुइया का सफरनामा - International Womens Day

8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस खास मौके पर आपको एक ऐसी शख्सियत की कहानी बताएंगे, जिसने अपने हौसले और मेहनत के दम पर मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर गवर्नर हाउस तक का सफर तय किया.

International Women's Day
जज्बे से जीता जहान

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Published : Mar 7, 2023, 8:39 PM IST

International Women's Day। किस्मत भी उसी का साथ देती है, जिसे अपनी मेहनत पर भरोसा होता है. महिला दिवस पर हम एक ऐसी महिला की कहानी से आपको रूबरू करा रहे हैं. जिसने अकेले अपनी मेहनत के दम पर एक छोटे से गांव से निकलकर राज्यपाल जैसे पद को सुशोभित किया है. ऐसी ही प्रेरक कहानी छिंदवाड़ा के रोहनाकला के आदिवासी परिवार में जन्मी अनुसुइया ऊइके की है. जो एक साधारण से आदिवासी परिवार से अब मणिपुर के राज्यपाल के पद तक पहुंच गई.

आदिवासी छात्रावास में रहकर की पढ़ाई: राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके के भांजे ने बताया कि अनुसुईया ऊइके के कुल सात बहन और एक भाई हैं. जिसमें अनुसुईया ऊइके 7वें नंबर की बेटी हैं. पिता लखनलाल ऊइके पटवारी की नौकरी करते थे. जिनकी पगार में इतने बड़े परिवार का भरण पोषण मुश्किल से हो पाता था, लेकिन बेटी की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर पिता ने उन्हें आदिवासी छात्रावास में दाखिला दिलाया. फिर अनुसूइया ऊइके ने सरकारी आदिवासी छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई की.

गर्वनर हाउस में अनुसुइया उइके

गरीबी को मात देकर पिता ने दिलाई उच्च शिक्षा: जिस दौर में बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता था, उस दौर में उनके पिता ने अपनी बेटी की लगन और मेहनत को देखते हुए गरीबी को मात देकर पढ़ाया लिखाया. इसके बाद उच्च शिक्षा के दौरान ऊइके ने राजनीति की तरफ रुख किया. उसी दौरान अनुसुइया ऊइके 1971 से 1981 छिंदवाड़ा शासकीय कॉलेज में उपाध्यक्ष और सचिव भी रही.

कॉलेज में रही असिस्टेंट प्रोफेसर:अर्थशास्त्र में एमए और एलएलबी डिग्री लेने के बाद अनुसुइया ऊइके ने आदिवासी अंचल तामिया के सरकारी कॉलेज में 1982 से 1984 तक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम किया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ अनुसुइया उइके

1985 में पहली बार पहुंची विधानसभा:कॉलेज से नौकरी छोड़ने के बाद अनुसूइया उइके ने आदिवासियों और गरीबों के उत्थान के लिए राजनीति का रुख लिया और 1984 में कांग्रेस का दामन थाम लिया. जिसके बाद 1985 में छिंदवाड़ा के दमुआ से विधानसभा चुनाव में जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची और अर्जुन सिंह की सरकार में 1988 से 1989 तक महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रही.

पीएम मोदी को श्रीकृष्ण भेंट करतीं अनुसुइया उइके

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1991 में भाजपा का दामन थामी,अब राज्यपाल: अनुसुइया ऊइके ने 1991 में राजनीतिक विवादों के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भाजपा का दामन थाम लिया. फिर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य, मध्यप्रदेश राज्य जनजाति आयोग की अध्यक्ष, राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं. 16 जुलाई 2019 को उन्हें छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया था, फिलहाल वे मणिपुर की राज्यपाल हैं.

राज्यपाल अनुसुइया उइके

अकेले ही मंजिल की तय: राज्यपाल अनुसुइया ऊइके ने सामाजिक जीवन जीने के लिए गृहस्थ जीवन में प्रवेश नहीं किया. छिंदवाड़ा की इस बेटी ने देश सहित विदेशों नें भी कई मुकाम हासिल किए हैं. अनुसुईया ऊइके को 1985 में तत्कालीन सोवियत यूनियन के मास्को और ताशकंद में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय युवा महोत्सव में शामिल हुई थी. उन्हें 1990 में दलित उत्थान के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर फेलोशिप और 1989 में जागरूक विधायक का तमगा भी मिला है.

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