इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स पहुंचे सिलक्यारा उत्तरकाशी (उत्तराखंड):उत्तरकाशी की सिल्कयारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में इंटरनेशनल मदद भी मिल रही है. टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के प्रयास जोर शोर से जारी हैं. इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स भी राहत और बचाव कार्य में मदद करने के लिए सिलक्यारा, पहुंच गए हैं.
प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स के बारे में जानिए: प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ हैं. उन्हें भूमिगत और परिवहन बुनियादी ढांचे को लेकर विशेषज्ञता हासिल है. वह भूमिगत निर्माण जैसे सुरंग बनाने और उससे जुड़े जोखिमों पर भी दुनियाभर में सलाह देते हैं. प्रोफेसर डिक्स को भूमिगत सुरंग निर्माण (Underground tunnel construction) में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों के रूप में जाना जाता है.
प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने किया रेस्क्यू स्थल का निरीक्षण: आज यानी सोमवार 20 नवंबर को प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग स्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने पिछले 9 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम के सदस्यों से बातचीत की. प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने खुशी जताते हुए कहा कि उनके साथ जो टीम रेस्क्यू ऑपरेशन का काम कर रही है, वो बहुत ही शानदार है. हम जल्द ही सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने जा रहे हैं.
पूरी दुनिया के विशेषज्ञ कर रहे मदद:प्रोफेसर डिक्स ने कहा कि पूरी दुनिया के टनल और रेस्क्यू विशेषज्ञ उत्तरकाशी के सिलक्यारा में रेस्क्यू में मदद कर रहे हैं. मैं भी यहां रेस्क्यू में मदद कर रहा हूं. अभी तक शानदार काम किया गया है. उन्होंने कहा कि रविवार से आज तक बहुत काम किया जा चुका है. दरअसल रेस्क्यू टीम अब प्लान बी पर काम कर रही है. जब प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स टनल के ऊपरी सिरे पर निरीक्षण करने जा रहे थे. अब टनल की शीर्ष से ड्रिल करके टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने की कोशिश की जा रही है. प्रोफेसर डिक्स ने कहा कि हम जल्दी टनल में फंसे लोगों को जल्द निकालने जा रहे हैं.
प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने रेस्क्यू कार्य पर खुशी जताई:प्रोफेसर डिक्स ने कहा कि टनल के अंदर काम बढ़िया चल रहा है. टनल के अंदर फंसे लोगों के लिए भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान पर्याप्त मात्रा में पहुंचाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जल्दी ही आप लोगों को खुशखबरी देंगे.
दरअसल रेस्क्यू टीमें अब टनल के अंदर 9 दिन से फंसे मजदूरों को बचाने के लिए कई रास्तों पर विचार कर रही हैं. इनमें सबसे प्रमुख टनल के ऊपर से ड्रिल करके मजदूरों तक पहुंचना है. इसके साथ ही टनल के दूसरे सिरे की ड्रिल करके मजदूरों तक पहुंचने का भी प्लान है. इसके साथ ही टनल के दाएं और बाएं सिरे से भी ड्रिलिंग का विकल्प रखा गया है.
डीआरडीओ की रोबोटिक्स टीम भी सिलक्यारा पहुंची: उत्साह बढ़ाने वाली एक और बात ये है कि डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) की टीम भी सिलक्यारा टनल पहुंच चुकी है. इस टीम के साथ एक रोबोटिक्स की टीम भी शामिल है, जो राहत और बचाव कार्य में हिस्सा लेगी. DRDO का पूरा नाम रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन है और ये हमारी सेना के लिए अनुसंधान और विकास के काम करती है. डीआरडीओ में 5000 से अधिक रिसर्चर और 25,000 से ज्यादा वैज्ञानिक मौजूद हैं.
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