नई दिल्ली :अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा म्यांमार में अत्याचारों को समाप्त करने के लिए एक निरंतर अपील की जा रही है. म्यांमार में जुंटा सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को हिरासत में ले लिया. म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र में म्यांमार में हो रही हिंसा को समाप्त करने के लिए कदम उठाने की बात कही.
उन्होंने म्यांमार में एक हिंसक घटनाओं के बीच गृह युद्ध के जोखिम की चेतावनी दी थी, जिसमें अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि परिषद को म्यांमार में घटनाओं के पाठ्यक्रम को उलटने के लिए बड़ी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए.
विदेश नीति विशेषज्ञ और भारत के पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा ने ईटीवी भारत को म्यांमार में राजनीतिक संकट का समाधान निकालने में यूएनएससी की भूमिका के बारे में कहा कि यूएनएससी म्यामांर में पैदा हुई स्थिति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हालांकि, अनुभव कहता है कि UNSC की अपनी सीमाएं हैं.
उन्होंने कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि UNSC के सभी 15 सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति होनी चाहिए कि यह म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर एक्शन लिया जाए.
UNSC सर्वश्रेष्ठ प्रस्तावों को पारित कर सकता है या उस पर प्रतिबंध लगा सकता है, लेकिन उसके लिए भी सर्वसम्मति होनी चाहिए. म्यांमार के मामले में यह स्पष्ट है कि अधिकांश सदस्य शांति के लिए प्रजातंत्र की बहाली, औंग सान सू ची और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, लेकिन क्या म्यांमार के खिलाफ दंडात्मक प्रतिबंध होना चाहिए या सैन्य जुंटा के कारण पैदान हुई स्थिति को संबोधित किया जाना चाहिए! म्यामांर के खिलाफ अपनाए जाने वाले इन उपायों पर सभी सदस्यों की कोई सहमति नहीं है.
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर म्यांमार मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गुप्त की बैठक में भारत ने म्यांमार में हिंसा की कड़ी निंदा की और निर्दोष लोगों की हत्या करने पर शोक जताया.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पीएस तिरुमूर्ति ने UNSC में अपनी टिप्पणी में म्यांमार के राजनीतिक संकट पर कई बिंदुओं को शामिल किया, जिसमें स्थिति का समाधान, अधिक से अधिक जुड़ाव, लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना, राखीन राज्य को सहायता प्रदान करना, राज्य में विकास कार्यक्रम शुरू करना शामिल हैं.
बैठक के दौरान भारत ने सैन्य जुंता द्वारा म्यांमार में की जा रही हिंसा पर कठोर कदम उठाने का आग्रह किया. इसके अलावा भारत ने लोकतांत्रिक ट्रांसमिशन के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला और हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई के लिए अपील की.
तिरुमूर्ति ने अपनी टिप्पणी में म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बारे में आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) द्वारा किए गए प्रयासों का भी स्वागत किया.