नई दिल्ली: आज अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day 2021) है. दुनिया भर में हर साल 23 जून को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है. खेल व फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए यह दिन मनाया जाता है. इस दिन विश्व के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें हर वर्ग के लोग व खिलाड़ी शामिल होते हैं.
कब से हुई शुरुआत
आज ही के दिन साल 1894 में पियरे दि कुबर्तिन ने पेरिस में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की थी. पहला ओलंपिक खेलों का आयोजन 1896 में एथेंस में किया गया था. पहले ओलंपिक खेलों के आयोजन की याद में ही हर साल 23 जून को ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. आईओसी का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के लॉजेन में है और 206 ओलंपिक समितियां इसकी सदस्य हैं.
ओलंपिक दिवस 23 जून 1948 को पहली बार मनाया गया था. उस समय पुर्तगाल, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, उरुग्वे, वेनेजुएला और बेल्जियम ने अपने-अपने देशों में ओलंपिक दिवस का आयोजन किया था.
हर 4 साल में होता है ओलंपिक का आयोजन क्या आप जानते हैं ?
ओलंपिक खेलों का आयोजन हर 4 साल में होता है और साल 1894 से ओलंपिक खेलों का आयोजन हो रहा है. ओलंपिक खेलों में 200 से अधिक देश हिस्सा लेते हैं. खास बात ये हैं कि ओलंपिक का आयोजन जिस शहर में होता है उस ओलंपिक को उसी नाम से जाना जाता है, ना कि देश के नाम से. जैसे बीजिंग ओलंपिक, लंदन ओलंपिक, रियो ओलंपिक आदि. कुछ ऐसा ही कॉमनवेल्थ गेम्स में भी होता है. ओलंपिक के सिंबल में पांच रंग के छल्ले दिखते हैं ये पांच रिंग या छल्ले दुनिया के पांच मुख्य महाद्वीपों एशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यूरोप को दर्शातें हैं.
5 महाद्वीपों को दर्शाते छल्ले 3 बार विश्व युद्ध के चलते नहीं हो पाए ओलंपिक
1894 से शुरू हुए ओलंपिक खेलों का आयोजन 4 बार नहीं हो पाया है. इनमें से 3 बार ये विश्व युद्ध के चलते रद्द करना पड़ा. सबसे पहले 1916 में बर्लिन ओलंपिक प्रथम विश्व युद्ध के कारण रद्द करना पड़ा था. 20 साल बाद 1936 में बर्लिन को फिर से ओलंपिक की मेजबानी मिली जो दूसरे विश्व युद्ध से पहले आखिरी ओलंपिक था.
इसके बाद साल 1940 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक दूसरे विश्व युद्ध के कारण रद्द करने पड़े. इनका आयोजन फिनलैंड में करने का फैसला लिया गया लेकिन आखिरकार युद्ध के कारण रद्द किया गया. 1944 में होने वाले लंदन ओलंपिक भी दूसरे विश्व युद्ध की भेंट चढ़ गए. इसके बाद लंदन को 1948 में हुए ओलंपिक खेलों को मेजबानी मिली. जहां करीब 12 साल बाद इन खेलों का आयोजन हुआ.
जब पहली बार महामारी की भेंट चढ़ा ओलंपिक
साल 2020 में पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आई, जिसका असर दुनियाभर में हर क्षेत्र की गतिविधियों पर पड़ा और ओलंपिक भी इससे अछूते नहीं रह पाए. 2020 में ओलंपिक गेम्स का आयोजन जापान की राजधानी टोक्यों में होने थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण नहीं हो पाए.
जुलाई 2021 में होगा टोक्यो ओलंपिक का आयोजन
दुनिया इस वक्त भी कोविड-19 का दंश झेल रही है लेकिन कोरोना की कम होती रफ्तार को देखते हुए ओलंपिक गेम्स टोक्यो में 23 जुलाई से 8 अगस्त के बीच होंगे. इस दौरान 33 खेलों में 42 स्थानों पर 339 मेडल इवेंट आयोजित किए जाएंगे. हालांकि आयोजकों के लिए कोरोना संक्रमण के दौर में इतने बड़े स्तर पर खेलों का आयोजन करवाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस 2021 की थीम
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस की हर साल एक अलग थीम होती है. इस साल की थीम स्वस्थ रहें, मजबूत रहें, ओलंपिक डे वर्कआउट के साथ एक्टिव रहें है.
टोक्यो ओलंपिक 2021 की तैयारी जोरों पर चल रही है. इस साल के ओलंपिक का आयोजन 23 जुलाई से 8 अगस्त तक जापान के टोक्यो शहर में होगा. टोक्यो ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में करीब 20,000 दर्शकों को नेशनल स्टेडियम में प्रवेश दी जा सकती है. इनमें दर्शकों के अलावा अधिकारी भी शामिल होंगे. साल 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण ओलंपिक खेल को टाल दिया गया था. इस साल भी कोरोना संक्रण से पूरी दुनिया जुझ रही है. इन सबके बावजूद खिलाड़ी टोक्यो में परचम लहराने के लिए पसीना बहा रहे हैं.
ओलंपिक खेलों की नुमाइंदगी के लिए जापान तैयार इन खिलाड़ियों से भारत को उम्मीदें
ओलंपिक के इस महाकुंभ में 195 देशों सहित 206 टीमों के खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है. आजादी के पहले 1900 में भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया था. इसके बाद 1920 में भारत का दल ओलंपिक में भाग लेने गया. साल 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीतते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था, लेकिन वर्ष 2016 में रियो डि जेनेरियो में भारतीय दल सिर्फ दो पदक ही हासिल कर पाया. अब टोक्यो में भारतीय दल से काफी उम्मीदें हैं.
वहीं, केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ का कहना है कि भारत इस बार बेहतर करेगी, और दोहरी संख्या में पदक जीतेंगे. टोक्यो जाने वाले भारतीय एथलीटों में भी काफी दमखम नजर आ रहा है. इस बार टोक्यो ओलंपिक जाने वाले एथलीटों के दल पर नजर डालें तो कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पदक जीतने की उम्मीदें बहुत ज्यादा है. जिसमें भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधू, मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉम, अमित पंघाल और पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट जैसे खिलाड़ी शामिल हैं.
भारतीय मुक्केबाजों में है दम
एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मुक्केबाज पूजा रानी (75 किलोग्राम) से भी देश को पदक की उम्मीदें हैं. वह बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. वहीं, पुरुष मुक्केबाजों में अमित पंघाल (52 किलोग्राम) के अलावा विकास कृष्ण (69 किलोग्राम) भी पदक के दावेदारों में से एक हैं.
दंगल में पहलवान दिखाएंगे दम
भारतीय टीम कुश्ती में भी मजबूत नजर आ रही है. विनेश फोगाट (53 किलोग्राम) रियो ओलंपिक में चोट के कारण बाहर हो गई थीं. इस बार उनके पास अनुभव के साथ दमखम भी है. विश्व में नंबर एक पहलवान रह चुके बजरंग पूनिया (65 किलोग्राम) भी अपने भार वर्ग में देश को पदक दिला सकते हैं। इनके अलावा दीपक पूनिया (86 किलोग्राम) से भी काफी उम्मीदें हैं.
निशाने पर लग सकता है निशाना
इस बार भारतीय निशानेबाजों का सबसे बड़ा दल ओलंपिक में भाग लेने जा रहा है, जिसमें 10 मीटर एयर राइफल में उच्च रैंकिंग की खिलाड़ी एलावेनिल वालारिवान, अंजुम मौदगिल और अपूर्वी चंदेला शामिल हैं. वहीं, 10 मीटर एयर पिस्टल महिला की स्पर्धा में युवा खिलाड़ी मनु भाकर. उनके नाम का भी एक पदक इंतजार कर रहा है. 10 मीटर एयर पिस्टल पुरुषों की स्पर्धा में सौरभ चौधरी और अभिषेक वर्मा भी पदक के हकदार माने जा रहे हैं.
टेबल टेनिस में भारत को किससे उम्मीद
टेबल टेनिस पर नजर डालें तो इसमें मनिका बत्रा, जी साथियान और शरत कमल जैसे धुरंधर खिलाड़ियों से सजी टीम से देश को पदक की उम्मीदें हैं. हालांकि, इन्हें चीन के खिलाड़ियों से पार पाना होग. इन सबके अलावा नौका चालक अर्जुन जाट, अरविंद सिंह, जिमनास्ट प्रणति नायक, तलवारबाज भवानी देवी, घुड़सवार फवाद मिर्जा पर भी नजरें होंगीं.
भाला फेंक एथलीट
फील्ड स्पर्धा में बात करें तो भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा से भी देश को उम्मीदें है. लेकिन उनका भाला 88 मीटर तक के आंकड़े को ही छू पाया है. उन्हें इस आंकड़े के पार जाना होगा. इसके अलावा देश को 20 किलोमीटर पैदल चाल में के.टी. इरफान, जबकि पुरुषों की लंबी कूद में मुरली श्रीशंकर से भी उम्मीदें रहेंगी.
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